कांगड़ा में बागवानी विभाग लोगों को सूखे से निपटने के लिए कर रहा जागरूक

बागवानी विभाग द्वारा जिला कांगड़ा में सूखे से निपटने के लिए अनेक प्रबंध किए जा रहे हैं। विभाग की ओर से जिला कांगड़ा के विभिन्न विकास खंडों में पंचायत स्तर पर किसानों व बागवानों को सूखा प्रबंध के लिए जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।

By Richa RanaEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 12:01 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 12:01 PM (IST)
कांगड़ा में बागवानी विभाग लोगों को सूखे से निपटने के लिए कर रहा जागरूक
जिला कांगड़ा में सूखे से निपटने के लिए अनेक प्रबंध किए जा रहे हैं।

धर्मशाला, जेएनएन। बागवानी विभाग द्वारा जिला कांगड़ा में सूखे से निपटने के लिए अनेक प्रबंध किए जा रहे हैं। विभाग की ओर से जिला कांगड़ा के विभिन्न विकास खंडों में पंचायत स्तर पर किसानों व बागवानों को सूखा प्रबंध के लिए जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत लगभग 150 शिविरों का आयोजन किया जा रहा है।

इन शिविरों में बागवानों को सूखे से निपटने के लिए विभिन्न उपायों, तकनीकों व सरकार द्वारा जल प्रबंधन के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी प्रदान की जा रही है। बताया कि बागवान पौधों के तोलियां (बेसिन) में नमी बनाए रखने के लिए सूखे घास या भूसे की 15 सेंटीमीटर मोटी परत या पॉलिथीन/प्लास्टिक मल्च बिछाएं। यह भूमि से नमी के वाष्पीकरण को रोकेगी तथा भूमि में खरपतवार को भी नहीं उगने देगी।

बागवानी विभाग कांगड़ा उपनिदेशक डा. कमलशील नेगी ने बताया कि फलदार पौधों की जड़े अनाज वाली फसलों तथा सब्जियों की अपेक्षा गहरी होती हैं इसलिए कुछ हद तक सूखे की स्थिति को झेल सकती हैं, लेकिन जिले में पिछले लगभग तीन-चार महीनों से पर्याप्त वर्षा नहीं होने पर सूखे जैसी परिस्थितियां पैदा हो गई हैं जिसका विपरीत प्रभाव फल-पाैधों पर भी पड़ सकता है।

उन्होंने बताया कि आजकल जिला में आगम, नीची व नीम्बू वर्गीय इत्यादि फल-पौधों में फलन हो रहा है इसलिए मिट्टी में पर्याप्त नमी होना अत्यंत आवश्यक है ताकि बागवान गुणवत्तायुक्त अच्छी उपज ले सकें।

सूक्ष्म सिंचाई (टपक/फब्बारा) पानी तथा खाद पौधे की जड़ों में पहुंचाने का उत्तम तरीका है। जिला में जिन किसानों के पास पानी का उचित स्त्रोत उपलब्ध है, वह बागीचे में टपक/फब्बारों सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली स्थापित करने के लिए 80 फीसद अनुदान राशि पर प्रधानमंत्री कृषि सिुचाई योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकते है।

टपक सिंचाई से जहां पानी की 50-60 फीसदी बचत होती है, वहां पानी सीधा पौधों की जड़ों को प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि किसानों व बागवानों की सुविधा के लिए प्लास्टिक जल भंडारण टैंक 300 लीटर व पाइप अनुदान राशि पर विभाग के विकास खंड स्तर पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।

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