Atal Tunnel Rohtang: सेरी नाला रिसाव ने तोड़ दी थी टनल निर्माण की उम्‍मीद, जानिए कैसे आगे बढ़ी कंपनी

Atal Tunnel Rohtang अटल टनल के निर्माण में आस्ट्रिया की स्ट्राबेग एफकान कंपनी के संयुक्त प्रबंधक सुनील त्यागी का 10 साल का अतुल्य योगदान है। त्यागी के नेतृत्व में ही स्ट्रॉबेग एफकॉन कंपनी ने अक्टूबर 2010 में अटल टनल निर्माण को लेकर पहला ब्लास्ट किया था।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 05:21 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 05:21 PM (IST)
Atal Tunnel Rohtang: सेरी नाला रिसाव ने तोड़ दी थी टनल निर्माण की उम्‍मीद, जानिए कैसे आगे बढ़ी कंपनी
अटल टनल रोहतांग के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले अधिकारी सुनील त्‍यागी।

मनाली, जागरण संवाददाता। अटल टनल के निर्माण में आस्ट्रिया की स्ट्राबेग एफकान कंपनी के संयुक्त प्रबंधक सुनील त्यागी  का 10 साल का अतुल्य योगदान है। त्यागी के नेतृत्व में ही स्ट्रॉबेग एफकॉन कंपनी ने अक्टूबर 2010 में अटल टनल निर्माण को लेकर पहला ब्लास्ट किया था। त्यागी एक ऐसे अधिकारी हैं जिन पर टनल को पूरा करने की जिम्मेवारी थी। अटल टनल निर्माण में बहुत सी बाधाएं भी आईं। सेरी नाले के कारण  बीआरओ सहित स्ट्रॉबेग एफकॉन कंपनी को 2012 से 2016 तक कई दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा। सुनील त्यागी ने अक्टूबर 2010 से लेकर आज तक अटल टनल निर्माण के अनुभव दैनिक जागरण से साझा किए।

स्ट्रॉबेग व एफकॉन कंपनी जुलाई 2010 में स्थापित हो गई थी। कंपनी ने अक्टूबर 2010 में अटल टनल निर्माण को लेकर पहला ब्लास्ट किया था। सीमा सड़क संगठन ने कंपनी को 53 महीनों का समय दिया था। कंपनी ने अक्टूबर 2010 से अप्रैल 2012 तक ठीक प्रोगेस से कार्य किया। लेकिन अप्रैल 2012 में सेरी नाले का रिसाव शुरू हो गया। अप्रैल 2012 से अक्टूबर 2016 तक सेरी नाले के पानी ने बहुत परेशान किया। कई बार तो टनल के अंदर से फ्लड जैसा माहौल बन गया। कंपनी के इंजीनियरों की भी हिम्मत टूटने लगी। लेकिन सीमा सड़क संगठन के उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन और कंपनी के इंजीनियरों की हिम्मत रंग लाई।

अक्टूबर 2017 को वह दिन भी आ गया, जिसे समस्त देश वासियों को इंतजार था। अक्टूबर 2017 को अटल टनल के दोनों छोर जुड़ गए और साउथ व नार्थ पोर्टल से आगमन शुरू हो गया। लाहुल की ओर काम करना बड़ी चुनौती रहा है। साल में मात्र पांच महीने ही काम करना मिलता था। 2013 में नार्थ पोर्टल में टनल कलेप्स हो गईं, जिस वजह से दिक्कत हुई और पटरी पर लौटने को समय भी अधिक लगा। 2014 में लाहुल घाटी में बेमौसमी बर्फबारी हो गई। नार्थ पोर्टल में एवलांच आने से सारे स्ट्रक्चर टूट गए।

हिम्मत के साथ आगे बढ़े और सीमा सड़क संगठन के सहयोग से कंपनी ने सभी चुनौति‍यों का सामना कर सफलता पाई। अक्टूबर 2017 के बाद कंपनी ने पीछे मुड़कर नही देखा और अटल टनल को तैयार करने में बड़ी कामयाबी हासिल की। कंपनी भी देश के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को तैयार करने में गौरव महसूस कर रही है और तीन अक्टूबर को देश के प्रधानमंत्री अटल टनल देश को समर्पित करने जा रहे हैं। इस बीच अटल टनल के निर्माण में बहुत कुछ सीखने को मिला। टनल के शिलान्यास से लेकर उद्घाटन तक भूमिका निभाने को मौका मिला।

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