अटल टनल ने बदली लाहुलियों की तकदीर, खेतीबाड़ी के बजाय कैंपिंग को तरजीह, पर्यटकों को भी खूब भा रही मेहमाननवाजी

Atal Tunnel Rohtang अटल टनल रोहतांग के बनने से हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले लाहुल स्पीति यानी शीत मरुस्थल में पर्यटन को पंख लग गए हैं। पर्यटन नगरी मनाली को देख लाहुल-स्पीति के लोग कभी जो सपना देखते थे वह अब साकार हो गया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Thu, 01 Jul 2021 08:31 AM (IST) Updated:Thu, 01 Jul 2021 08:46 AM (IST)
अटल टनल ने बदली लाहुलियों की तकदीर, खेतीबाड़ी के बजाय कैंपिंग को तरजीह, पर्यटकों को भी खूब भा रही मेहमाननवाजी
अटल टनल रोहतांग के बनने से जनजातीय जिले लाहुल स्पीति यानी शीत मरुस्थल में पर्यटन को पंख लग गए हैं।

मंडी, हंसराज सैनी। Lahaul & Spiti Tour, अटल टनल रोहतांग के बनने से हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले लाहुल स्पीति यानी शीत मरुस्थल में पर्यटन को पंख लग गए हैं। पर्यटन नगरी मनाली को देख लाहुल-स्पीति के लोग कभी जो सपना देखते थे, वह अब साकार हो गया है। करीब एक साल में अटल टनल ने लाहुलियों की तकदीर बदल दी है। आजीविका के लिए खेतीबाड़ी पर निर्भर लाहुलियों ने अब पर्यटन की ओर रुख कर लिया है। लाहुल-स्पीति में मनाली की तरह होटल व रेस्टोरेंट की भरमार नहीं है। यहां की मनमोहक वादियों ने पर्यटकों को आकर्षित किया तो लाहुलियों ने अतिथि सत्कार के लिए टेंट लगाकर कैंपिंग साइट में होटल व रेस्टोरेंट जैसी व्यवस्था कर डाली।

पर्यटकों को लुभा रहा टेंट में रात गुजारना

खुले आसमान के नीचे टेंट में रात गुजारना पर्यटकों को खूब लुभा रहा है। सालभर पहले तक रोहतांग दर्रा होकर लाहुल पहुंचना पर्यटकों के लिए पहाड़ जैसी चुनौती हुआ करती थी। अटल टनल रोहतांग शुरू होने के बाद यहां पर्यटन के द्वार खुल गए। खेतीबाड़ी के बजाय लाहुली अब पर्यटन को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं। कोकसर, सरचू, सिस्सू, गेमूर व जिस्पा समेत कई क्षेत्रों में खेतों में आलू व गोभी के बजाय टेंट ज्यादा नजर आ रहे हैं।

900 हेक्टेयर भूमि में हुई है आलू की बिजाई

इस बार लाहुल में आलू की बिजाई कम हुई है। कृषि विभाग के मुताबिक लाहुल-स्पीति जिले में 958 हेक्टेयर भूमि में आलू की खेती होती थी। इस बार करीब 900 हेक्टेयर भूमि में आलू की बिजाई हुई है। यहां आलू की कांट्रेक्ट फार्मिंग होती है। चिप्स बनाने वाली देश की नामी कंपनियां यहां के किसानों को आलू बीज उपलब्ध करवाती है। फसल तैयार होने पर कंपनियां आलू की खरीदारी भी करती हैं। शीत मरुस्थल में साल में एक फसल ही होती है। एक बीघा भूमि में आलू, गोभी, ब्रोकली, आइसबर्ग की खेती से आमतौर पर किसानों को सालाना अधिकतम एक लाख रुपये तक आय होती है। बीज, खाद व मजदूरों का खर्च निकाल किसानों की जेब में कुल 60,000 से 70,000 रुपये ही आतें हैं।

एक बीघा भूमि में लगाए 15 से 20 टेंट

पर्यटन बढऩे के बाद लाहुलियों ने घरों के आसपास व खेतों में टेंट लगा कैंपिंग साइट तैयार की हैं। एक बीघा भूमि में 15 से 20 टेंट लगाए गए हैं। एक टेंट व उसमें सुविधा जुटाने का खर्च करीब एक लाख रुपये आया है। टेंट के अंदर डबल बेड लगाया गया है। स्नानागार व शौचालय की उचित व्यवस्था है। एक रात का किराया 3000 से 5000 रुपये के बीच है। डबल बेड में दो लोग ठहर सकते हैं। इस पैकेज में डिनर व ब्रेकफास्ट उपलब्ध करवाया जा रहा है। लाहुल में अभी अक्टूबर के पहले सप्ताह तक पर्यटन सीजन चलेगा।

क्‍या कहते हैं स्‍थानीय विधायक एवं मंत्री

तकनीकी शिक्षा मंत्री हिमाचल प्रदेश डा. रामलाल मार्कंडेय का कहना है अटल रोहतांग टनल के बाद लाहुल में नया सवेरा हुआ है। एक साल में 432 होम स्टे का पंजीकरण हुआ है। लोगों ने होटल बनाने शुरू कर दिए हैं। कैंपिंग साइट में लगे टेंट पर्यटकोंं को आकर्षित कर रहे हैं। मोबाइल नेटवर्क को बढ़ावा देने के लिए 11 टावर लगाए गए हैं।

क्‍या कहते हैं दिल्‍ली के पर्यटक

दिल्ली के पर्यटक आशीष कुमार का कहना है लाहुल की मनमोहक वादियों में टेंट में रात गुजारने का अपना अलग ही आनंद है। टेंट में घर जैसी सुविधा मिलने से इस बात का अहसास नहीं होता है कि हम घर से भी दूर हैं।

टेंट में रात गुजारना खूब रास आ रहा

पूर्व सैनिक एवं संचालक श्रीमणि रिवर कैंप साइट गेमूर  (लाहुल) नामग्याल दोरजे का कहना है नदी किनारे या खेतों लगे टेंट में पर्यटकों को रात गुजारना खूब रास आ रहा है। अतिथि सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है।

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