एशियन डेवलपमेंट बैैंक करेगा गोबिंद सागर झील में जलमग्न मंदिरों का पुनर्स्थापन

भाखड़ा डैम बनने के बाद अस्तित्व में आई गोबिंदसागर झील में जहां बिलासपुर शहर की प्राचीन सभ्यता समा गई थी वहीं लोगों की आस्था के प्रतीक कई मंदिर भी डूब गए थे। काफी अर्से से इन मंदिरों को दूसरे स्थान पर पुनर्स्थापित करने की मांग उठती रही है।

By Vijay BhushanEdited By: Publish:Mon, 12 Jul 2021 10:22 PM (IST) Updated:Mon, 12 Jul 2021 10:22 PM (IST)
एशियन डेवलपमेंट बैैंक करेगा गोबिंद सागर झील में जलमग्न मंदिरों का पुनर्स्थापन
बिलासपुर के सांढू मैदान में स्थित मंदिर। जागरण आर्काइव

रजनीश महाजन, बिलासपुर। भाखड़ा डैम बनने के बाद अस्तित्व में आई गोबिंदसागर झील में जहां बिलासपुर शहर की प्राचीन सभ्यता समा गई थी, वहीं लोगों की आस्था के प्रतीक कई मंदिर भी डूब गए थे। काफी अर्से से इन मंदिरों को दूसरे स्थान पर पुनर्स्थापित करने की मांग उठती रही है। जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग ने इसके लिए मुहिम शुरू की थी लेकिन आज तक इन मंदिरों का दूसरी जगह पुनर्स्थापन नहीं किया जा सका। दो वर्ष पहले जयपुर व दिल्ली की टीम ने मंदिरों का निरीक्षण किया था लेकिन उसके बाद क्या हुआ, किसी को पता नहीं है। इन मंदिरों का पुनस्र्थापन करने के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने अपने हाथ आगे बढ़ाए हैं। इस बावत जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग को पत्र भी जारी किया गया है। अब देखना है कि यह मुहिम सिरे चढ़ती है या नहीं है, क्योंकि साल दर साल मंदिरों की हालत दयनीय हो रही है।

सूत्रों की मानें तो मंदिरों के पुनस्र्थापन के लिए काले बाबे की कुटिया दनोह के पास भूमि चिह्नित की गई है लेकिन इसे विभाग के नाम करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। दो वर्ष पहले जयपुर से द फोरम्स एवं इंडियन ट्रस्ट और नई दिल्ली से रूरल हेरीटेज एंड डेवलपमेंट की टीम ने मंदिरों का निरीक्षण किया था। बिलासपुर के सांढू मैदान में स्थित ये मंदिर प्राचीन शिल्पकारी का भी नमूना हैं और जिले लोगों की आस्था के प्रतीक हैं।

जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने कहा कि मंदिरों को दूसरी जगह पुस्र्थापित करने का प्रोजेक्ट अब एशियन डेवलपमेंट बैंक ने अपने हाथ में ले लिया है। अब एडीबी के अधिकारी मंदिरों का पुनस्र्थापन करेंगे। इस बारे में विभाग को पत्र मिला है। जल्द विभाग के नाम जमीन हो जाएगी।

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