मंडी के गोहर में खिले हींग के फूल, ऐसे तैयार होगा हींग

मंडी जिले के गोहर उपमंडल में हींग की खेती की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। कई क्षेत्रों में लगाए गए हींग के पौधों पर फूल खिले हैं। इंस्टीट््यूट आफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलाजी (आइएचबीटी) पालमपुर के विज्ञानी इनसे अभी बीज तैयार करेंगे।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sat, 06 Nov 2021 10:20 PM (IST) Updated:Sat, 06 Nov 2021 10:20 PM (IST)
मंडी के गोहर में खिले हींग के फूल, ऐसे तैयार होगा हींग
गोहर में हींग के पौधों में फ्लावरिंग। जागरण

गोहर, सहयोगी। मंडी जिले के गोहर उपमंडल में हींग की खेती की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। कई क्षेत्रों में लगाए गए हींग के पौधों पर फूल खिले हैं। इंस्टीट््यूट आफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलाजी (आइएचबीटी) पालमपुर के विज्ञानी इनसे अभी बीज तैयार करेंगे।

हींग की खेती की संभावनाएं तलाशने के लिए आइएचबीटी के विज्ञानियों ने गोहर और सराज के विभिन्न इलाकों में हींग की खेती का सफल परीक्षण किया था। इसके बाद किसानों को हींग के 600 पौधे वितरित किए थे। इसके नतीजे उत्साहजनक रहे हैं। गोहर के कई क्षेत्रों में हींग के पौधे लहललाने लगी है। इन पर फूल खिले हैं। इससे किसानों में खुशी है तो वहीं विज्ञानियों की मेहनत भी रंग लाई है।

विज्ञानियों के अनुसार, हिमाचल की पहाडिय़ों में हजारों किसानों ने पहली बार हींग या हींग के पौधों की खेती के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया है। पहले बैच के अस्तित्व ने संस्थान को परियोजना का विस्तार करने और व्यापक रूप से हींग पौधों को उगाने के लिए प्रेरित किया है। क्षेत्र के प्रगतिशील किसान एवं फल सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष ङ्क्षबदर ठाकुर ने बताया कि उन्होंने स्वयं हींग की खेती को अपनाया है। खेती सफल रही है। खेतों में पौधे अब तीन साल के हो गए हैं। इन पर फ्लावङ्क्षरग हुई है। अभी उनके पास कम पौधे हैं, उनमें विस्तार करने पर काम किया जा रहा है।

अब तक लाहुल घाटी में 11 हजार और गोहर व सराज में 600 पौधे वितरित किए हैं। इस फसल को बंजर भूमि में उगाया जा सकता है। यह फसल किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकती है।

-डा. अशोक कुमार, आइएचबीटी में परियोजना के प्रमुख अन्वेषक।

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