सात आढ़तियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट

हिमाचल प्रदेश में सेब बागवानों के साथ ढाई सौ करोड़ के गड़बड़झाले में स्टेट सीआइडी की एसआइटी ने आरोपितों पर शिकंजा कस दिया है। सात आढ़तियों के खिलाफ कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। सीआइडी जांच में सहयोग न करने वालों पर यह कार्रवाई की गई है।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 09:16 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 09:16 PM (IST)
सात आढ़तियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट
स्टेट सीआइडी ने सात आढ़तियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं।

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश में सेब बागवानों के साथ ढाई सौ करोड़ के गड़बड़झाले में स्टेट सीआइडी की एसआइटी ने आरोपितों पर शिकंजा कस दिया है। सात आढ़तियों के खिलाफ कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। सीआइडी जांच में सहयोग न करने वालों पर यह कार्रवाई की गई है। आरोपित हिमाचल समेत कई राज्यों से ताल्लुक रखते हैं। हिमाचल से संबंध रखने वालों ने अन्य राज्यों में अपना कारोबार जारी रखा है। वहां वे किसी और कंपनी या आढ़त से कारोबार कर रहे हैं। ऐसे लोगों पर कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी), मार्केटिंग बोर्ड कोई रोक अथवा कानूनी कार्रवाई नहीं कर पाई है। प्रदेश की सब्जी मंडियों में कारोबार से जुड़े लोगों का उचित रिकार्ड और पुलिस से वेरीफिकेशन आदि के अभाव में आढ़ती या लदानी बागवानों को हर साल करोड़ों का चूना लगा रहे हैैं।

हर सीजन में आती हैं शिकायतें

सेब बागवानों से धोखाधड़ी की हर साल सेब सीजन समाप्त होने के बाद शिकायतें आती हैं। ऐसी ही सैकड़ों शिकायतों की सीआइडी जांच कर रही हैं। शिकायतें नवंबर में आनी आरंभ हो जाती है। जांच एजेंसी के पास करीब डेढ़ हजार शिकायतें आई थी। दो साल में इनमें से एक हजार शिकायतों का निपटारा हो गया है। इनके आधार पर कई में प्राथमिकी दर्ज की गई। गौरतलब है कि सीआइडी के पास कुल 114 एफआइआर दर्ज हैं।

एपीएमसी, मार्केटिंग बोर्ड आढ़तियों, लदानियों का कोई उचित रिकार्ड नहीं रखते हैं। पंजीकरण सही तरीके से हो, वेरीफिकेशन करवाए तो लूट करने वालों पर जल्द कार्रवाई हो सकती है, लेकिन बागवानों के हितों की रक्षा करने में ये नाकाम रही है, नतीजतन बागवानों को हर साल करोड़ों रूपये का चूना लग रहा है।

-संजय चौहान, महासचिव, किसान संघर्ष समिति।

लूट के लिए पूरी तरह से एपीएमसी जिम्मेदार है। आढ़तियों और लदानियों पर इसका कोई नियंत्रण और निगरानी नहीं है। सरकार 2005 के एपीएमसी एक्ट को सख्ती से लागू करवाएं

-हरीश चौहान, अध्यक्ष, संयुक्त किसान मोर्चा।

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