Arki By Election: अर्की में अनुसूचित जाति वर्ग दिखाएगा जीत की राह, देखिए किस वर्ग के कितने वोट

Arki By Election अर्की विधानसभा उपचुनाव में मुकाबला ब्राह्मण व राजपूत समुदाय के प्रत्याशियों में है लेकिन जीत की राह अनुसूचित जाति वर्ग ही दिखाएगा। विधानसभा क्षेत्र में 27.5 फीसद आबादी अनुसूचित जाति वर्ग की है। जो पार्टी इस वर्ग को साधने में सफल हो जाएगी

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 07:12 AM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 08:00 AM (IST)
Arki By Election: अर्की में अनुसूचित जाति वर्ग दिखाएगा जीत की राह, देखिए किस वर्ग के कितने वोट
अर्की विधानसभा उपचुनाव में मुकाबला ब्राह्मण व राजपूत समुदाय के प्रत्याशियों में है

सोलन, भूपेंद्र ठाकुर। Arki By Election, अर्की विधानसभा उपचुनाव में मुकाबला ब्राह्मण व राजपूत समुदाय के प्रत्याशियों में है, लेकिन जीत की राह अनुसूचित जाति वर्ग ही दिखाएगा। विधानसभा क्षेत्र में 27.5 फीसद आबादी अनुसूचित जाति वर्ग की है। जो पार्टी इस वर्ग को साधने में सफल हो जाएगी, उसकी जीत भी आसान होगी। अर्की विधानसभा क्षेत्र में करीब 90 हजार मतदाता हैं। इसमें 42 फीसद राजपूत, 28 फीसद ब्राह्मण, 27.5 फीसद अनुसूचित जाति, दो फीसद ओबीसी व 0.5 फीसद अल्पसंख्यक हैं। अर्की में इस बार भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है।

भाजपा के उम्मीदवार रतन सिंह पाल हैं, जो कि राजपूत समुदाय से हैं, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी संजय अवस्थी ब्राह्मण हैं। अर्की में भाजपा से कहीं अधिक कांग्रेस के बीच में बगावत चल रही है। टिकट न मिलने से नाराज कांग्रेसी नेता राजेंद्र ठाकुर पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वह उसी उम्मीदवार को वोट देंगे जो जीतने का दम रखता हो। कांग्रेस के उम्मीदवार संजय अवस्थी को वह समर्थन नहीं देंगे। ऐसे में राजेंद्र ठाकुर का वोट बैंक सीधे रतनपाल को शिफ्ट हो सकता है।

वहीं, भाजपा की बात करें तो यहां पर अब बगावत इतनी अधिक नहीं रही। हालांकि पहले गोविंद राम शर्मा नामांकन भरने का दावा कर रहे थे, लेकिन शुक्रवार को अनुराग ठाकुर ने उन्हें शांत कर दिया। गोविंद राम ने भी यह बात कही है कि वह भाजपा प्रत्याशी के लिए यहां पर वोट मांगने नहीं जाएंगे। अन्य जिला में जाकर पार्टी के लिए काम करेंगे।

इस स्थिति में लाभ संजय अवस्थी को हो सकता है। हालांकि अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग का वोट लेने में जो प्रत्याशी कामयाब रहेगा उसकी राह आसान होगी, क्योंकि दो अधिक आबादी वाले समुदाय के वोट विभाजित होंगे। अर्की में इस प्रकार के समीकरण पहली बार नहीं बन रहे हैं इससे पहले भी अर्की विधानसभा की चुनावी जंग राजनीतिक दलों से कहीं अधिक जातिवाद की रही है।

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