सिर से मां का साया उठने के बाद दर दर की ठोकरें खा रहा ज्‍वालामुखी का अजय

ज्वालामुखी के नजदीक देहरियां का 26 वर्षीय नौजवान अजय कुमार उर्फ अजु अपनी मां की मौत के कारण दिमागी परेशान है। वह कई सालों से अपने घर के सामने बने रेनशैल्टर में नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर है। इस युवक की मां होती तो वह युवक का इलाज करवाती।

By Richa RanaEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 12:25 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 12:25 PM (IST)
सिर से मां का साया उठने के बाद दर दर की ठोकरें खा रहा ज्‍वालामुखी का अजय
अजय कुमार उर्फ अजु अपनी मां की मौत के कारण दिमागी परेशान है।

ज्वालामुखी, करुणेश शर्मा। ज्वालामुखी के नजदीक देहरियां का 26 वर्षीय नौजवान अजय कुमार उर्फ अजु अपनी मां की मौत के कारण दिमागी परेशान है। वह कई सालों से अपने घर के सामने बने रेनशेल्टर में नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर है।

आज इस युवक की मां होती तो शायद वह इस युवक का समय पर इलाज करवाती और इसे नरक भरी जिंदगी से बाहर निकालती। युवक के शरीर से आती दुर्गंध और बढ़े हुए बालों के कारण ऐसा लगता है कि दिमागी रूप से परेशान इस युवक का इस दुनिया में साथ देने वाला कोई नहीं है। उक्त युवक पढ़ा लिखा मैट्रिक पास है ।

नहीं अाई को सामाजिक संस्था अागे
दिमागी रूप से परेशान इस नौजवान को नरक भरी जिंदगी से निजात दिलाने के लिए न तो कोई सामाजिक संस्थाएं आगे आईं हैं न ही  प्रशासन ने कोई उचित कदम उठाए हैं । पंचायत प्रतिनिधि भी वोट लेने तक ही सीमित रहते हैं।

हमेशा अखवारों की सुर्खियों में रहने वाली सामाजिक संस्थाएं भी इस ओर कोई ध्यान आज दिन तक न दे पाई हैं । कई वर्षों से लाचार इस युवक की सहायता के लिए आज तक ऐसा कोई पुनीत हाथ आगे नहीं बढ़ा कोई भी दानी सज्जन इस युवक के इलाज के लिए आगे नहीं बढ़ा है। इस युवक की दयनीय गम्भीर हालत को देखकर ऐसा लगता है कि इस दुनिया में मानवता नाम की कोई चीज नहीं है । हालांकि दिमागी रूप से परेशान यह 26 वर्षीय युवक जवालामुखी शहर में भी इसी तरह से नारकीय हालत में कई साल गुजार चुका है ।

 

यह रहा कारण

स्थानीय लोगों से प्राप्त जानकारी के अनुसार  घरेलू कलह के कारण और अपनी माँ की अचानक मौत हो जाने के कारण उक्त युवक और भी मानसिक परेशान रहने लगा है । शायद  इसी कारण से वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठा हो ।

 

युवक के ठीक होने की है पूरी उम्मीद

चिकित्सकों के अनुसार  उक्त युवक दिमागी रूप से 90 प्रतिशत स्वस्थ है । केवल मात्र 10 प्रतिशत ही दिमागी विकार है। और दवाइयों पर भी कोई ज्यादा  खर्चा नहीं आएगा ।बस जरूरत है इस युवक को समय रहते सही चिकित्सा मिल जाए तो उक्त युवक को इस नरक भरी जिंदगी से निजात मिल सकती है और वह अपनी वास्तविक जिंदगी जी सकता है । परंतु जरूरत है उस समाजसेवी संस्था की जो उसे गोद ले सके या उस प्रशासन की जिस में मानवीय मूल्यों पर आधारित संवेदनाएं हों। स्थानीय विधायक रमेश धवाला ने कहा कि इस युवक के इलाज के लिए दानी सज्जन व समाजसेवी संस्थाएं आगे आएं वे अपने स्तर पर भी पूरा प्रयास कर इस युवक को सहयोग कर वास्तविक स्थिति में लाएंगे।

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