संतान की सुख समृद्धि के लिए कल अहोई अष्टमी का व्रत रखेंगी माताएं, जानिए शुभ मुहूर्त व पूजा की विधि
Ahoi Ashtami Vratसंतान की लंबी आयु के लिए रखे जाने वाला व्रत अहोई अष्टमी इस वर्ष 28 अक्टूबर को है। कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी का व्रत आता है। इस दिन माता अहोई भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
शिमला, जागरण संवाददाता। Ahoi Ashtami Vrat, संतान की लंबी आयु के लिए रखे जाने वाला व्रत अहोई अष्टमी इस वर्ष 28 अक्टूबर को है। कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी का व्रत आता है। इस दिन माता अहोई, भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि अहोई अष्टमी का व्रत संतान प्राप्ति, उसकी लंबी आयु और खुशहाली के लिए रखा जाता है। माताएं अपनी संतान की लंबी आयु की कामना को लेकर व्रत रखती हैं। करवाचौथ पर्व के तीन दिन बाद अहोई अष्टमी पर्व आता है, इसलिए महिलाएं बच्चों की खुशी के लिए उनकी मनपसंद की वस्तुएं खरीदने में व्यस्त हो जाती हैं। माता अहोई की पूजा-अर्चना से कई बिगड़े काम पूरे हो जाते हैं।
पंडित चिंतामणी शर्मा का कहना है कि इस वर्ष अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 56 मिनट तक है। महिलाएं शाम के समय तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल सकती हैं। इसके बाद तारों को अर्घ्य देकर बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
पूजा की विधि
महिलाएं अहोई अष्टमी की तैयारी के लिए कई प्रकार के विधि विधान करती हैं। वहीं अहोई माता की पूजा से पहले दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाकर या बाजार से खरीदे चित्र को सामने रखकर, उनके सामने जल से भरा एक कलश रखें। रोली-चावल से माता की पूजा करें। वहीं माता को श्रद्धापूर्वक भोग लगाएं। कलश पर स्वास्तिक बनाने के साथ-साथ गेहूं के सात दाने लें, इसके बाद अहोई माता की कथा सुनें।
अहोई अष्टमी का महत्व
अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं अपने बच्चों के कल्याण के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन निर्जला उपवास रखकर रात को चंद्रमा या तारों को देखने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। इसके अलावा जो महिलाएं नि:संतान हैं, वह भी संतान प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी का व्रत या उपवास करती हैं।