नवंबर के पहले पखवाड़े में करें गेहूं की बिजाई
संवाद सहयोगी पालमपुर चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार
संवाद सहयोगी, पालमपुर : चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार शिक्षा निदेशालय के विज्ञानियों ने नवंबर के पहले पखवाड़े में गेहूं की बिजाई की सलाह दी है। विज्ञानियों के अनुसार, निचले एवं मध्यवर्ती क्षेत्रों के किसान गेहूं की एचपीडब्ल्यू-155, एचपीडब्ल्यू-236, वीएल-907, एचएस-507, एचएस-562, एचपीडब्ल्यू-349, एचपीडब्ल्यू-249 व एचपीडब्ल्यू-368 किस्मों की बिजाई करें। निचले क्षेत्रों के लिए एचडी-3086, डीपीडब्ल्यू-621-50, डीबीडब्ल्यू-85 व डब्ल्यूएच-1105 किस्में बेहतर हैं। सिंचित क्षेत्रों में डब्ल्यूएच-542, डब्ल्यूएच-595 व एचडी-2687 की बिजाई करें। साथ ही निचले एवं मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में प्याज व लहसुन की बिजाई के लिए उपयुक्त समय है।
........................
केरा विधि से करें मसर की बिजाई
मसर की विपाशा, एचपीएल 5 व मारकंडे ईसी 1 किस्मों की बिजाई नवंबर के प्रथम पखवाड़े में की जा सकती है। पछेती बिजाई के लिए बीज की मात्रा अधिक रखनी चाहिए। फसल को केरा विधि से 25-30 सेंमी की दूरी पर पंक्तियों में बिजाई करें।
....................
कतारों में करें मटर, मूली व गाजर की बिजाई
निचले एवं मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में मटर की सुधरी प्रजातियों पालम समूल, पीवी-89, जीएस-10, आजाद पी-1 एवं आजाद पी-3 की बिजाई 45 सेमी कतारों में करें। पौधे से पौधे की दूरी करीब 10 सेंमी से करें। बिजाई से पहले खाद डालें। इन्हीं क्षेत्रों में मूली, गाजर व शलगज के पौधों की छंटाई करें। फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रॉकली व चाइनीज सरसों की बिजाई 30-45 सेंमी पौधे से पौधे की दूरी पर करें।
.......................
सुंडी व कटुआ कीट से बचाव के लिए खेतों में डालें दवा
सफेद सुंडी, कटुआ कीट तथा दीमक का अत्यधिक प्रकोप वाले बारानी क्षेत्रों में गेहूं, चना व मटर की बिजाई से पहले क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी 2 लीटर को रेत 25 किग्रा में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में मिलाएं। संकर हाथी घास के ठूंठ सूखने से पहले अंतिम कटाई कर लें।