मुख्यमंत्री की घोषणा के 3 वर्ष बाद भी नाहन मेडिकल कॉलेज में शुरू नहीं हुआ कार्डिंग विंग व कैथ लैब

सिरमौर में वर्ष 2016 में शुरू हुआ नाहन मेडिकल कॉलेज अब मरीजों के लिए सुविधाओं के स्थान पर परेशानी का सबब बनने लग पड़ा है। डॉ वाइएस परमार मेडिकल कॉलेज जब तक क्षेत्रीय अस्पताल था तो यहां पर प्रतिदिन रोगियों की संख्या 400 से 500 के बीच होती थी।

By Richa RanaEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 11:30 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 11:30 AM (IST)
मुख्यमंत्री की घोषणा के 3 वर्ष बाद भी नाहन मेडिकल कॉलेज में शुरू नहीं हुआ कार्डिंग विंग व कैथ लैब
नाहन में कार्डिंग विंग खोलने तथा हृदय रोगियों के लिए कैथ लैब स्थापित करने की घोषणा की थी।

नाहन, राजन पुंडीर। जिला सिरमौर में वर्ष 2016 में शुरू हुआ नाहन मेडिकल कॉलेज अब मरीजों के लिए सुविधाओं के स्थान पर परेशानी का सबब बनने लग पड़ा है। डॉ वाइएस परमार मेडिकल कॉलेज जब तक क्षेत्रीय अस्पताल था, तो यहां पर प्रतिदिन रोगियों की संख्या 400 से 500 के बीच होती थी। मगर 4 वर्ष पूर्व मेडिकल कॉलेज बनते हैं, यहां पर मरीजों की संख्या 1200 से लेकर 1500 तक प्रतिदिन पहुंच रही है।

जिला भर के ग्रामीण क्षेत्रों से लोग मेडिकल कलेज में इस उम्मीद से आते हैं कि उन्हें यहां पर बेहतर चिकित्सा मिलेगी। मगर ओपीडी में विशेषज्ञ चिकित्सक, तो दूर सामान्य चिकित्सक भी नहीं मिलते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत गायनी ओपीडी वार्ड में महिलाओं को आती हैं। जहां पर केवल दो ही चिकित्सक उपलब्ध होते हैं तथा यहां पर प्रतिदिन 300 से 400 महिलाएं चेकअप के लिए आते हैं। कई बार तो टोकन लेने के बावजूद भी दो- दो दिन तक महिलाओं का नंबर नहीं आता है। 

3 वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नाहन मेडिकल कॉलेज में कार्डिंग विंग खोलने तथा हृदय रोगियों के लिए कैथ लैब स्थापित करने की घोषणा की थी। जो कि 3 वर्ष पूर्व बीत जाने के बाद भी केवल कोरी घोषणा ही साबित हुई है। ना तो प्रदेश सरकार मेडिकल कॉलेज में कार्डिंग विंग शुरू करवा पाई, ना ही हृदय रोगियों के लिए कैथ लैब स्थापित हो पाए। पिछले कुछ वर्षों से जिला सिरमौर में शुगर के रोगियों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। जिसके चलते सैकड़ों शुगर के रोगियों को हार्ट की प्रॉब्लम हुई। इसके चलते उन्हें इलाज के लिए देहरादून व पीजी चंडीगढ़ के चक्कर काटने पड़ते हैं।

यदि नाहन मेडिकल कॉलेज में कैथ लैब स्थापित होती है, तो हार्ट के रोगियों को मेडिकल कॉलेज में यह सुविधा उपलब्ध होगी। उधर जब इस संदर्भ में डॉ वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज के कार्यवाहक प्रधानाचार्य डॉक्टर श्याम कोशिश से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मेडिकल कॉलेज के पास अभी कैथ लैब स्थापित करने के लिए बजट व भवन की कमी है। जिसके चलते कैथ लैब व कार्डिक विंग स्थापित नहीं हो पाया है। मेडिकल कॉलेज की जो नई बिल्डिंग बन रही है। उसके बनने के बाद कैथ लैब शुरू हो सकती हैं। तब तक सरकार बजट उपलब्ध करवा देगी।

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