पांच बार गर्भपात के बाद मधुवाला ने कांगड़ा के फोर्टिस अस्‍पाताल में पाया संतान सुख, डा. वानी शर्मा के अनुभव ने दिलाई बड़ी कामयाबी

पांच बार मिसकैरिज का सदमा झेल चुकी महिला को जब फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में संतान सुख की प्राप्ति हुई तो उसकी व उसके परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। क्योंकि यह वह पल था जिसकी वह उम्मीद भी छोड़ चुके थे।

By Richa RanaEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 01:04 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 01:04 PM (IST)
पांच बार गर्भपात के बाद मधुवाला ने कांगड़ा के फोर्टिस अस्‍पाताल में पाया संतान सुख, डा. वानी शर्मा के अनुभव ने दिलाई बड़ी कामयाबी
पांच बार मिसकैरिज का सदमा झेल चुकी महिला को फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में संतान सुख की प्राप्ति हुई।

कांगड़ा, संवाद सहयोगी। पांच बार मिसकैरिज का सदमा झेल चुकी महिला को जब फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में संतान सुख की प्राप्ति हुई, तो उसकी व उसके परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। क्योंकि यह वह पल था, जिसकी वह उम्मीद भी छोड़ चुके थे। साथ ही वे फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा के प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ वानी शर्मा का तहेदिल से आभार व्यक्त करते नहीं थक रहे थे।

फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा की टीम के लिए यह गर्व की बात है। अस्पताल की विशेषज्ञ इससे पहले भी कई मरीजों की ठीक कर चुके हैं। इससे पहले यहां मरीजों के घुटने की सफल ऑपरेशन हो चुके हैं। इसके अलावा अन्य कई जटिल ऑपरेशन सफल हो चुके हैं। यहां के डा. पेले आए दिन हड्डी रोगियों के लिए विशेष ओपीडी आयोजित करते हैं। फॉर्टिस अस्पताल कांगड़ा हिमाचल का पहला निजी अस्पताल भी बन चुका है, जहां कोरोना की वैक्सीन शुरू हुई थी। अस्पताल में अभी भी कोरोना वैक्सीन लगती है।

अस्पताल की डा. वानी से बात करने पर उन्होंने बताया कि यह एक बहुत ही जटिल केस था, जिसमें सफलता हासिल करना न के बराबर था। मरीज मधुबाला का फोर्टिस में ट्रिटमेंट चलते से पहले पांच बार गर्भपात हो चुका था। लेकिन फोर्टिस में अनुभवी स्टाफ एवं उपलब्ध संसाधनों के चलते यह संभव हो पाया।

डाॅ वानी शर्मा ने कहा कि इस केस में लैप्रोस्काॅपिक ट्रांसएब्डाॅमिनल सरवाइकल एन्सेक्लेज तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक से गर्भपात को रेगुलर फोलोअप एवं एक्सपर्ट देखभाल के जरिए रोका जा सकता है। डा. वानी ने कहा कि इस सब के चलते भी इस केस में सफलता मिलना एक सपने जैसा था। लेकिन हम इसमें कामयाब रहे, आज मरीज मधुबाला की सुनी गोद भर गई है और उसके आंगन में बच्चे की किलकारियां गूंज रही हैं।

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