40 साल बीते, नहीं मिले रघुनाथ

प्रवीण कुमार शर्मा ज्वालामुखी सैकड़ों वर्षो की लंबी जद्दोजहद के बाद बेशक अयोध्या में प्रभु श्र

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 06:00 AM (IST)
40 साल बीते, नहीं मिले रघुनाथ
40 साल बीते, नहीं मिले रघुनाथ

प्रवीण कुमार शर्मा, ज्वालामुखी

सैकड़ों वर्षो की लंबी जद्दोजहद के बाद बेशक अयोध्या में प्रभु श्रीराम को टाट के घर से निकालकर भव्य मंदिर में विराजमान करने की तैयारियां जोरों से चल रही हैं लेकिन ज्वालामुखी के साथ लगते टेढ़ा मंदिर में 40 साल बीतने के बाद भी रघुनाथ का वनवास खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

माना जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान टेढ़ा मंदिर में मूर्तियां प्रतिष्ठापित की थीं। भगवान श्रीराम परिवार की अष्टधातु की करोड़ों की मूर्तियां कहां हैं और किस हाल में हैं, यह कोई नहीं जानता है। मूर्तियां 40 साल पहले गायब होने के बाद मंदिर में पुनस्र्थापित नहीं हो पाई हैं। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि मंदिर के अधिग्रहण के बाद भी मूर्तियों को ढूंढने या फिर इनके बारे में जानकारी लेने के लिए मंदिर न्यास या सरकार ने कोई कोशिश ही नहीं की है।

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कहां है टेड़ा मंदिर

टेड़ा मंदिर श्री ज्वालामुखी मंदिर के साथ सटे कालीधार जंगल के बीचोंबीच स्थित है। 1905 के भूकंप के दौरान मंदिर का ढांचा टेढ़ा हो गया था। मंदिर में हर साल देशभर से श्रद्धालु आते हैं।

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क्या कहते हैं पुजारी

मंदिर के पुजारी हिमांशु भूषण दत्त व प्रशांत शर्मा बताते हैं कि उन्होंने पूर्वजों से टेढ़ा मंदिर की मूर्तियों के चोरी होने की बातें सुनी हैं। पूरा राम परिवार मंदिर में विराजमान था। खास बात यह है कि मूर्तियां अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने मंदिर में प्रतिष्ठापित की थीं। प्रशासन प्रयास करे तो मूर्तियां खोजी जा सकती हैं।

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हमने मूर्तियों के बारे में जानकारी हासिल करनी चाही है, लेकिन पता नहीं चल पाया है। मंदिर के सरकारी अधिग्रहण के बाद जो एसेट्स सरकार के पास जमा होते हैं उनमें मूर्तियां नहीं हैं। यह 40 साल पहले का मामला है और इस बारे में डीसी कांगड़ा को अवगत करवा दिया है।

-जगदीश शर्मा, तहसीलदार ज्वालामुखी।

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टेड़ा मंदिर में रघुनाथ जी की मूर्तियों की कोई जानकारी जिला प्रशासन के पास नहीं है। स्थानीय प्रशासन से इस बारे में जानकारी मांगी थी, लेकिन सिर्फ इतना ही पता चल सका है कि चार दशक पहले मूर्तियां चोरी हुई थीं। उस समय मंदिर सरकारी अधिग्रहण से बाहर था, इसलिए प्रशासन के पास आधिकारिक तौर पर सटीक जानकारी नहीं है।

-राकेश प्रजापति, डीसी कांगड़ा

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