हिमाचल प्रदेश के 300 दुर्गम गांव रोपवे से जुड़ेंगे
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के ऐसे दुर्गम क्षेत्र जहां अब तक सड़क पहुंचाना संभव नहीं है उनके लिए राहत भरी खबर है। ऐसे 300 दुर्गम गांवों के लिए रोप-वे बनाने की योजना है। रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम के तहत भूतल एवं परिवहन मंत्रालय को इस संबंध में शीघ्र ही प्रस्ताव भेजा जाएगा।
शिमला, राज्य ब्यूरो। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के ऐसे दुर्गम क्षेत्र जहां अब तक सड़क पहुंचाना संभव नहीं है उनके लिए राहत भरी खबर है। राज्य के ऐसे 300 दुर्गम गांवों के लिए रोप-वे बनाने की योजना है।
रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम के तहत भूतल एवं परिवहन मंत्रालय को इस संबंध में शीघ्र ही प्रस्ताव भेजा जाएगा। केंद्र द्वारा बनाए इस सिस्टम का उद्देश्य कठिन एवं दुर्गम क्षेत्रों के लोगों के लिए आवागमन की व्यवस्था करना है। इस संबंध में राज्य सचिवालय में प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसके तहत केंद्र से बजट के प्रविधान का मामला उठाया जाएगा। इन क्षेत्रों को आज तक सड़क सुविधा से नहीं जोड़ाी जा सका है। इनकी भौगोिलक परिस्थितियां भी इसका बड़ा कारण है।
एक पंथ-दो काज
प्रदेश के चंबा, किन्नौर, शिमला, कुल्लू, मंडी व सिरमौर जिलों में कई ऐसे गांव हैं जहां पहुंचने के लिए कोई सुविधा नहीं है। सड़क बनाना संभव नहीं है। अब भी कुल्लू जिले में एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पर रहने वाले लोगों के रोप-वे ही साधन है। इससे कृषि व बागवानी उत्पाद सड़क तक पहुंचते हैं। यदि केंद्र सरकार सस्ती रोप-वे प्रणाली को विकसित करने की हामी भरती है तो प्रदेश के छह जिलों के कई गांव में कृषि उत्पादों के साथ-साथ लोगों के आवागमन की भी सुविधा मिलेगी।
10 करोड़ में एक किलोमीटर रोप-वे
रोप-वे बनानी वाली कंपनियां 10 करोड़ रुपये में एक किलोमीटर रोप-वे बनाकर दे देती हैं। यह सबसे सस्ता रोप-वे निर्माण माना जाता है। इसके अतिरिक्त अधिक सुविधाजनक और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने वाली कंपनियां 40 से 50 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर में रोप-वे निर्माण करती हैं।
राज्य सरकार दुर्गम गांवों को परिवहन सुविधा प्रदान करना चाहती है। शीघ्र ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाएगा, ताकि इन गांव के लोगों को सुविधा मिल सकें।
-राम सुभग ङ्क्षसह, अतिरिक्त मुख्य सचिव परिवहन।