ज्‍वालामुखी में बिना अध्यापकों के चल रहे हैं 30 प्राथमिक स्कूल

हिमाचल प्रदेश उच्चन्यायालय द्वारा जेबीटी भर्ती में बीएड धारकों को भी पात्रता दिए जाने के फैसले के बाद प्रदेश भर के प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की कमी पूरा होना की उम्मीद जगी है। जिला कांगड़ा में भी उन स्कूलों के विद्यार्थियों को राहत मिल सकती है।

By Richa RanaEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 03:00 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 03:00 PM (IST)
ज्‍वालामुखी में बिना अध्यापकों के चल रहे हैं 30 प्राथमिक स्कूल
प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की कमी पूरा होना की उम्मीद जगी है।

ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार शर्मा। हिमाचल प्रदेश उच्चन्यायालय द्वारा जेबीटी भर्ती में बीएड धारकों को भी पात्रता दिए जाने के फैसले के बाद प्रदेश भर के प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की कमी पूरा होना की उम्मीद जगी है। कारनवश सूबे के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में भी उन स्कूलों के विद्यार्थियों को राहत मिल सकती है, जिनमें बच्चे तो हैं लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं। इन स्कूलों में शिक्षा विभाग नजदीकी सेंटर स्कूलों से वैकल्पिक तौर पर अध्यापक भेजकर बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था करता है।

जिले में इस समय 30 के करीब ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें स्थायी तौर पर अध्यापक ही नहीं है। शिक्षा विभाग सहित जिला प्रारंभिक शिक्षा फ़ेडरेशन भी अब यह मान कर चल रही है कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद स्टे कारण रुकी हुई नियुक्तियां आरम्भ हो सकेंगी। जिससे बदहाल शिक्षा के दिन बहुरेंगे। पिछले तीन साल से जेबीटी डीएलएड तथा बीएड धारकों में कोर्ट केस के कारण शिक्षा विभाग प्रदेश भर में जेबीटी शिक्षकों की भर्ती नहीं कर पाया है। जिले के ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र के तहत शिक्षा खंड खुंडिया के 55 स्कूलों की बात करें तो शायद ही कोई स्कूल होगा जहां पर पढ़ाई के लिए सभी व्यवस्थाएं मजबूत हों। कहीं अध्यापक हैं तो बच्चों की कम संख्या है, कहीं बच्चों की संख्या संतोषजनक है तो पढ़ाने वाला ही कोई नहीं है। ऐसे में देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ के लिए किसे जिम्मेदार माना जाए? समझ से परे है।

खुंडिया शिक्षा खंड के स्कूलों के हालातों के बारे जान कर आप हैरान रह जाएंगे। जहां स्कूलों के बच्चे बिना अध्यापक के पढ़ाई कर रहे हैं। हैरानीजनक है कि प्राथमिक स्कूल जसेड में पढ़ने के लिए बच्चे तो हैं तो परन्तु स्कूल भवन ना होने के कारण बच्चों की पढ़ाई ग्रामीणों द्वारा भवन की व्यवस्था ना होने तक एक स्लेटपोस घर में करवाई जा रही है। प्राइमरी स्कूल (जीपीएस) थलकान के 17 बच्चों के पास ना अध्यापक है और न भवन जबकि जीपीएस जसेड में 27 बच्चों को पढ़ाने के लिए एक अध्यापक तो है पर अपना भवन नहीं हैं। ऐसे में इनका भविष्य क्या होगा कोई नहीं जानता, लेकिन इस खंड के बाकि स्कूलों की कहानी भी बहुत अलग नही है। आंकड़े चौंकाते हैं। शिक्षा खंड के 4 स्कूल जीपीएस मटेहर, जीपीएस मंडू, जीपीएस जमूली और जीपीएस थलकान बिना अध्यापक के ही चल रहे हैं, जबकि 7 स्कूल जीपीएस सपरालू, जीपीएस जसेर, जीपीएस दोधरू, जीपीएस बसीण, जीपीएस छमार क्वाली, जीपीएस डोला खरयाणा और जीपीएएस थांबा सिर्फ एक अध्यापक के सहारे चल रहे हैं। इसमें जीपीएस दोधरू के विभिन्न कक्षाओं के 36 बच्चों की व्यथा देखिए कि इन्हें मात्र एक अध्यापक के सहारे पढ़ने को मजबूर किया जा रहा है।

आप जितना इन आंकड़ों को खंगालते जाते हैं आप चिंतित और चौंकते जाते हैं। मसलन 5 स्कूल, जीपीएस मंडू जीपीएस मटेहर जीपीएस जमूली, जीपीएस गंडवार खास और जीपीएस फिहार ऐसे स्कूल हैं जहां बच्चों की संख्या दहाई के आंकड़े को भी नहीं छू पाई है लेकिन जीपीएस फिहार के पांच और जीपीएस गडवार के भी 5 बच्चों के लिए क्रमश: 2-2 अध्यापक पोस्टेड हैं, जबकि जीपीएस टिहरी में जहां सबसे ज्यादा 125 बच्चे हैं वहां कुल 3 पोस्ट खाली चल रही हैं और एक सीएचटी को मिला कर 3 जेबीटी यहां पढ़ाने को हैं।

प्राइमरी टीचर फेडरेशन जिला कांगड़ा के सचिव राजिंद्र शर्मा का कहना है कि पिछले तीन साल से कोर्ट में स्टे के कारण जेबीटी शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाई है। बीएड कर चुके बेरोजगार जेबीटी की जगह नियुक्ति के लिए कोर्ट से स्टे ले आए थे और यही प्रमुख वजह है कि बहुत सारे जेबीटी के पद खाली पड़े हैं। अब उच्च न्यायालय के फैसले के बाद उम्मीद की जा सकती है गतिरोध टूटेगा तथा सरकार भर्तियां करेगी।

उधर प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक कांगड़ा महिंद्र सिंह ने कहा कि जिला कांगड़ा में पिछले तीन साल से कुल 140 के करीब अध्यापकों की नियुक्तियां कोर्ट स्टे के कारण रुकीं हुई हैं। पूरे जिला में 30 स्कूल ऐसे हैं जहां कोई अध्यापक नहीं है, जबकि कई स्कूलों में केवल एक एक अध्यापक ही है। जेबीटी, बीएड की कोर्ट में लड़ाई के कारण तीन साल से कहीं भी जेबीटी शिक्षक भर्ती नहीं हो पाए हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई है।

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