ढाई सौ रुपये का टेस्ट, 500 किलोमीटर सफर

टांडा अस्पताल में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाते समय इस पर भी विचार नहीं किया जाता कि इससे किसी विभाग में सेवाएं बाधित तो नहीं होंगी। 250 रुपये के टेस्ट के लिए मरीज को आइजीएमसी शिमला रेफर कर दिया यानी आने-जाने का 500 किलोमीटर से भी अधिक का सफर।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Fri, 02 Jul 2021 11:52 PM (IST) Updated:Fri, 02 Jul 2021 11:52 PM (IST)
ढाई सौ रुपये का टेस्ट, 500 किलोमीटर सफर
टांडा मेडिकल से टेस्‍ट के लिए शिमला रेफर मरीज की पर्ची।

टांडा, जागरण संवाददाता। डा. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल टांडा की कार्यप्रणाली का भगवान ही मालिक है। कर्मचारियों की ड्यूटी लगाते समय इस पर भी विचार नहीं किया जाता कि इससे किसी विभाग में सेवाएं बाधित तो नहीं होंगी और मरीजों को कितना खामियाजा भुगतना पड़ेगा। 250 रुपये के टेस्ट के लिए मरीज को आइजीएमसी शिमला रेफर कर दिया यानी आने-जाने का 500 किलोमीटर से भी अधिक का सफर।

जी हां, टांडा मेडिकल कालेज में मरीज के साथ ऐसा ही हुआ। डढंब निवासी 63 वर्षीय सरण सिंह 26 जून को जांच करवाने के लिए टांडा मेडिकल कालेज पहुंचे। चिकित्सक ने कुछ टेस्ट और सीटी स्कैन करवाने की सलाह दी। 28 जून को सारी रिपोर्ट लेकर सरण सिंह फिर टांडा पहुंचे तो उन्हें ब्रोंकोस्कोपी टेस्ट के लिए आइजीएमसी शिमला रेफर कर दिया। वह अगले ही दिन आइजीएमसी पहुंच गए। वहां भी टेस्ट के लिए 12 जुलाई की डेट मिली है। अब 12 जुलाई को फिर उन्हें इतना ही सफर करके और आर्थिक बोझ सहना पड़ेगा।

टांडा में ब्रोंकोस्कोपी टेस्ट 250 रुपये में होता है। काफी दिन से यह टेस्ट बंद है। पहले विशेषज्ञ की ड्यूटी कोविड में लगी थी। अब ओपीडी खुल गई तो टेक्नीशियन न होने के कारण मरीज रेफर किए जा रहे हैं। सरकार हर व्यक्ति को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने का दावा करती है, परंतु यहां इससे उलट हो रहा है।

यहां तैनात हैं टेक्नीशियन

टांडा मेडिकल कालेज में करीब 45 लैब टेक्नीशियन हैं। इनमें 30 माइक्रोबायोलाजी लैब में तैनात हैं। आरटीपीसीआर टेस्ट समेत अन्य कार्यों में लगे हैं। पांच पैथोलाजी लैब में तैनात हैं, बायोकैमिस्ट्री लैब में भी पांच टेक्नीशियन की ड्यूटी लगी है, जबकि चार सेंट्रल लैब में सैंपल कलेक्शन के लिए लगाए गए हैं। पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में एक भी टेक्नीशियन की ड्यूटी नहीं लगाई गई है।

नहीं होते सीटी स्कैन

टांडा मेडिकल कालेज में छह माह से अधिक समय से सीटी स्कैन नहीं हो रहे हैं। मरीजों को 1320 रुपये के सीटी स्कैन के लिए निजी अस्पतालों में 9500 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। करीब माह पहले प्रदेश सरकार ने नई सीटी स्कैन मशीन के लिए बजट प्रावधान कर दिया है, लेकिन अभी तक नई मशीन नहीं आई है।

तीन साल से डायलिसिस सुविधा नहीं

टांडा मेडिकल कालेज में क्षेत्रीय अस्पताल में मिलने वाली डायलिसिस सुविधा भी नहीं है। तीन साल पहले विशेषज्ञ का तबादला चंबा मेडिकल कालेज किए जाने के बाद से टांडा में डायलिसिस बंद हैं। डायलिसिस के लिए छह मशीनें टांडा मेडिकल कालेज में उपलब्ध हैं परंतु सरकार तीन साल से विशेषज्ञ की तैनाती नहीं कर पा रही है।

टांडा मेडिकल कालेज प्रशासन मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास कर रहा है। ज्यादातर लैब टेक्नीशियन कोविड ड्यूटी दे रहे हैं। इसलिए ब्रोंकोस्कोपी टेस्ट के लिए मरीज रेफर करना पड़ा। जल्द ही एक टेक्नीशियन की तैनाती पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में कर दी जाएगी।

-डा. सुशील शर्मा, चिकित्सा अधीक्षक टांडा मेडिकल कालेज।

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