शिक्षा, राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में ईश्वर दास धीमान का उल्लेखनीय योगदान

पूर्व शिक्षा मंत्री स्वर्गीय ईश्वर दास धीमान भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन शिक्षा राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में दिया उनका योगदान आज भी प्रदेश व जिलावासियों की जुबान पर है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 16 Nov 2020 08:47 AM (IST) Updated:Mon, 16 Nov 2020 08:47 AM (IST)
शिक्षा, राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में ईश्वर दास धीमान का उल्लेखनीय योगदान
शिक्षा, राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में ईश्वर दास धीमान का उल्लेखनीय योगदान

रणवीर ठाकुर, हमीरपुर

पूर्व शिक्षा मंत्री स्वर्गीय ईश्वर दास धीमान भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन शिक्षा, राजनीतिक व सामाजिक क्षेत्र में दिया उनका योगदान आज भी प्रदेश व जिलावासियों की जुबान पर है। प्रदेशवासियों व जिलावासियों ने ईश्वर दास धीमान की चौथी पुण्य तिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है।

भोरंज विधानसभा क्षेत्र के गांव दियालड़ी में 17 नवंबर, 1934 को जीआर धीमान के घर जन्में ईश्वरदास धीमान ने दिनरात परिश्रम करके चार रुपये की छात्रवृत्ति हासिल कर अपने पूरे जीवन का रिकार्ड कायम कर शिक्षा के क्षेत्र से राजनीति में बेहतर राजनीतिज्ञ का सफर पूरा कर देश व प्रदेश में एक मिसाल कायम करने का गौरव प्राप्त किया। शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने के बाद राजनीति का सफर भोरंज की जनता की भावनाओं की कदर करते हुए बेहतर तरीके से पूरा करने की महारत हासिल की। धीमान ने एम, एमएड की शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय व शिमला विश्वविद्यालय से की। उनका विवाह सत्या धीमान से हुआ था। उनके एक बेटा पूर्व विधायक एवं डा. अनिल धीमान हैं व दो बेटियां हैं।

धीमान ने शिक्षा विभाग में 13 वर्ष टीजीटी और 16 वर्ष मुख्याध्यापक के पद पर सेवाएं देकर शिक्षा में अपनी अलख जगाई और पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल की तरह छात्रों को बेहतर व गुणवत्ता भारी शिक्षा दी। दो बार शिक्षा मंत्री व लगातार छह बार का गौरव हासिल किया।

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8 जुलाई, 1989 को भाजपा की सदस्यता ली थी

ईश्वरदास धीमान ने शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त होकर 8 जुलाई, 1989 को भारतीय जनता पार्टी में सदस्यता ग्रहण की । वर्ष 1990 से लेकर 1993 तक भाजपा में राज्य कार्यसमिति के प्रतिनिधि रहे। वर्ष 1990 से 1992 में जिला भाजपा हमीरपुर उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत रहे । वर्ष 1993 से 1995 व वर्ष 1995 से 1998 तक राज्य भाजपा अनुसूचित जाति एवं जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष पद पर रहे।

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साल, 1990 में पहली जीत

पहली बार मेवा विधानसभा क्षेत्र से वर्ष,1990 में चुनाव जीतकर विधानसभा में प्रवेश किया। उसके बाद जीत का क्रम थमा नहीं और वर्ष 1993, वर्ष 1998, वर्ष 2003 में विधायक बने और लोक लिखा समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए । वर्ष 1995 से 1998 और वर्ष 2003 से वर्ष 2007 तक दो बार प्रदेश के शिक्षा मंत्री बने । जून, 2007 से दिसंबर, 2007 तक भाजपा में विपक्ष का नेता होने का गौरव भी प्राप्त किया । दिसंबर, 2007 में पांचवीं बार विधायक बने और वर्ष, 2012 में छठी बार विधायक बने और 15 नवंबर को भोरंज की जनता को बड़ा सदमा देते हुए इस दुनिया को अलविदा कह गए। इस दौरान भाजपा पार्टी की ओर से उनके बेटे डा. अनिल धीमान को टिकट देकर उपचुनाव में उतारा। उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सहित उनके सभी मंत्री व पार्टी संगठन के बड़े नेता भी चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे लेकिन डाक्टर अनिल धीमान ने अपने पिता की तर्ज पर जीत को बरकरार रखा और शानदार जीत हासिल करने का रिकार्ड भी बनाया ।

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हर पल याद आते हैं ईश्वर दास धीमान

आज भी भोरंज क्षेत्र की जनता ईश्वरदास धीमान के विकास कार्यो की लिखी इबारत भूली नहीं हैं और यह भी कहती है कि गुरुजी का भोरंज क्षेत्र के लिए भरपूर योगदान, जनता के लिए उनका कार्य करने का तरीका व प्यार की भावना की झलक हर पल याद आती है।

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विकास कार्यो का ब्योरा

साल, 1990 में जब ईश्वर दास धीमान विधायक बने तो कुल तीन ही सड़कें कच्ची व पक्की थीं लेकिन वर्ष 2016 तक हर गांव सड़क से जुड़ा और पूरे एशिया में सड़कों के घनत्व हिसाब से नंबर वन पर भोंरज क्षेत्र बना । पानी की समस्या हर गांव में थी लेकिन लगवालती - बमसन परियोजना तथा अन्य स्थानीय पेयजल स्कीमें तैयार कर हर घर को नल की सुविधा प्रदान की । भोरंज में कुल तीन शिक्षण संस्थान थे जोकि उनके प्रयास से 18 सीनियर सेकेंडरी स्कूल विज्ञान विषय सहित, शिक्षा हब समीरपुर से लेकर नवोदय विद्यालय , चार आइटीआइ, बीएड कॉलेज डुंगरी, करियर प्वांइट विश्वविद्यालय, डिग्री कॉलेज कंज्याण शामिल हैं । स्वास्थ्य क्षेत्र में तीन प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र 30 बिस्तरों का अस्पताल था जबकि उन्होंने पीएचसी कड़ोहता, जाहू, भेरड़ी, बगबाड़ा, चंबोह, शाहलवीं, बलोखर, महल, मैड़ शामिल हैं । 13 नए हेल्थ सबसेंटर शामिल हैं । लोक निर्माण विभाग के तहत कोई विश्राम गृह नहीं था लेकिन उन्होंने भोरंज, समीरपुर टाउन भराड़ी रेस्ट हाउस बनवाए । भोरंज में कोई हेलीपैड नहीं था लेकिन इन्होंने कंज्याण व समीरपुर में हेलीपैड तैयार करवाए। नेशनल हाईवे कोई नहीं था । उखली - तरक्बाड़ी - अवाहदेवी, टिककर डिडवीं, भोरंज सरकाघाट बनाए ।

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शिक्षा क्षेत्र में बेहतर करने पर मिला था पुरस्कार

पूर्व शिक्षा मंत्री ईश्वरदास धीमान के नाम गलोरी ऑफ इंडिया पुरस्कार भी रहा हैं । शिक्षा जगत में नए आयाम स्थापित करने पर 12 अक्टूबर, 2011 को दिल्ली में उस समय के निदेशक सीबीआई एवं चेयरमैन आइपीएस जोगिद्र सिंह ने सरकार की ओर से उन्हें यह पुरस्कार दिया था।

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