प्रमोशन में पदोन्नति नियमों की अनदेखी पर कोर्ट गए शिक्षक

जागरण संवाददाता हमीरपुर प्रदेश में टीजीटी और प्रमोटी लेक्चरर से हेडमास्टर की पदोन्

By JagranEdited By: Publish:Wed, 25 Aug 2021 04:42 PM (IST) Updated:Wed, 25 Aug 2021 04:42 PM (IST)
प्रमोशन में पदोन्नति नियमों की अनदेखी पर कोर्ट गए शिक्षक
प्रमोशन में पदोन्नति नियमों की अनदेखी पर कोर्ट गए शिक्षक

जागरण संवाददाता, हमीरपुर : प्रदेश में टीजीटी और प्रमोटी लेक्चरर से हेडमास्टर की पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, मगर प्रमोशन में भर्ती पदोन्नति नियमावली के सख्ती से पालन न करने के मामले और अपात्र शिक्षकों को प्रमोट करने के लिए जारी पैनल में विविध आपत्तियों को लेकर शिक्षकों ने प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

देवराज बनाम सरकार मामले में 24 अगस्त, 2021 को न्यायाधीश त्रिलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य डिवीजन बैंच ने प्रदेश शिक्षा विभाग, शिक्षा सचिव आदि प्रतिवादियों को आदेश दिया है कि इस याचिका के अंतिम निर्णय पर अग्रिम पदोन्नति की कार्यवाही की जाएगी। वर्तमान में प्रमोटी लेक्चरर से हेडमास्टर पदोन्नति में कई ऐसे शिक्षकों के नाम शामिल हैं, जिनकी बतौर टीजीटी आठ साल सेवाएं पूर्ण नहीं हैं और भर्ती पदोन्नति नियमों में हेडमास्टर बनने के लिए आठ साल बतौर टीजीटी सेवा अनिवार्य है। विनोद कुमार बनाम सरकार मामले में प्रमोटी लेक्चरर को हेडमास्टर प्रमोट किए जाने के आदेश दिए गए थे, मगर इसमें उनके लिए बतौर टीजीटी आठ साल सेवाकाल की शर्त में कोई छूट नहीं दी गई थी।

शिक्षा विभाग को वर्ष 2012 के उपरांत हेडमास्टर के भर्ती पदोन्नति नियम बदलने थे, मगर नौ साल में शिक्षा विभाग ने हेडमास्टर के भर्ती पदोन्नति नियमों में बदलाव नही किए और प्रमोटी लेक्चरर्स को हेडमास्टर बनाने के लिए पदोन्नति नियमों में नए प्रविधान भी नहीं जोड़े और न ही कोई पदोन्नति अनुपात टीजीटी और प्रमोटी लेक्चरर्स के बीच बनाया गया।

वर्तमान में करीब 15 हजार टीजीटी और चार हजार प्रमोटी लेक्चरर्स अपनी हेडमास्टर पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसके अलावा टीजीटी से हेडमास्टर पदोन्नति पैनल में चार भूतपूर्व सैनिक कोटे के टीजीटी भी शामिल किए गए हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट की एसएलपी 8710/2009 के अंतर्गत वरिष्ठता लाभ देय नहीं है। ऐसे में हेडमास्टर पदोन्नति के लिए सर्विस वेरिफिकेशन से पहले स्कूलों के मुखियाओं को सतर्क रहना पड़ेगा क्योंकि अपात्र को प्रमोट करने के लिए अगर गलत जानकारी स्कूल मुखियाओं की ओर से शिक्षा निदेशालय भेजी जाती है तो उसके दोषियों पर कार्रवाई होगी। ऐसे में शिक्षकों की पदोन्नति के लिए सही जानकारी देना आपेक्षित है। मामले की अगली सुनवाई 28 सितंबर, 2021 को होगी

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