डीडीयू अस्पताल आत्महत्या मामले में स्‍टाफ पर कार्रवाई पर मेडिकल अफसर संघ ने जताई चिंता

हिमाचल प्रदेश मेडिकल अफसर संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक मुख्य सलाहकार डॉ संतलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई। महासचिव डॉक्‍टर पुष्पेंद्र वर्मा ने बताया कि सभी जिला के पदाधिकारियों ने इसमें हिस्सा लिया और चिकित्सकों के हितों से जुड़े हुए ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई।

By Richa RanaEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 01:44 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 01:44 PM (IST)
डीडीयू अस्पताल आत्महत्या मामले में स्‍टाफ पर कार्रवाई पर मेडिकल अफसर संघ ने जताई चिंता
डीडीयू अस्पताल आत्महत्या मामले में मेडिकल सुपरीटेंडेंट, चिकित्सकों स्टाफ नर्स और फार्मासिस्ट को दोषी ठहराने पर चिंता जताई गई।

हमीरपुर, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश मेडिकल अफसर संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक मुख्य सलाहकार डॉ संतलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई। महासचिव डॉक्‍टर पुष्पेंद्र वर्मा ने बताया कि सभी जिला के पदाधिकारियों ने इसमें हिस्सा लिया और चिकित्सकों के हितों से जुड़े हुए ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई।

डीडीयू अस्पताल शिमला में हुई आत्महत्या के मामले में  मेडिकल सुपरीटेंडेंट, चिकित्सकों स्टाफ नर्स और फार्मासिस्ट को दोषी ठहराने पर चिंता जताई गई। सभी का एक मत था कि अगर आत्महत्या जैसे दुखांत  घटनाओं में भी अगर मेडिकल स्टाफ की गलती निकाल कर उनको बलि का बकरा बना के उन के ऊपर गाज गिराई जाएगी तो यह कदाचित न्यायोचित नहीं है। एकतरफा जांच जो करवाई गई है उससे संघ बिल्कुल भी  सहमत नहीं है,और संघ इस मामले की जांच किसी माननीय सेवारत न्यायधीश या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में करवाने की मांग करता है।

सभी सदस्यों की सहमति के बाद संघ ने यह भी निर्णय किया कि इसमें अगर किसी भी तरह की कोई कानूनी सलाह या न्यायालय का दरवाजा खटखटाने  की जरूरत पड़ेगी तो संघ इस पर भी अमल करेगा। डॉक्‍टर पुष्पेंद्र वर्मा ने आगे  बताया कि पिछले 6 महीनों से  चिकित्सक स्टाफ नर्सेज ,फार्मासिस्ट्स  और  प्रदेश की सभी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशनस के सदस्य दिन-रात अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजेस में लगातार सेवाएं दे रहे हैं,वह भी तब जबकि इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी देखने में आ रही है। सब लोग लगातार बिना किसी  छुट्टी लिए  इस पैन डेमिक में काम कर रहे हैं, और वैसे ही  यह सारे  इस समय  भारी मानसिक दबाव में चल रहे हैं ।

इस तरह की एकतरफा कार्रवाई  ना केवल उनके मनोबल के ऊपर  एक  चोट होगी बल्कि आने वाले नौजवान पीढ़ी को भी मेडिकल जैसे प्रोफेशन से विमुख करेगी। एक और मुख्य मुद्दा  नौजवान  अनुबंधित चिकित्सकों  जोकी  करोणा के इस महामारी में पिछले 6 महीनों से लगातार बिना छुट्टी लिए हुए और अपने परिवारों को खतरे में डालते हुए काम कर रहे हैं उनकी वेतन का 22% काटना जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और सरकार की कथनी और करणी को उजागर कर रहा है। 

ये हास्यास्प्रद  है कि,संघ के प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री से मिले और उसके बाद सरकार ने दिशा निर्देश जारी किए कि किसी भी अनुबंधित चिकित्सा अधिकारी की ग्रेड पे इंसेंटिव को नहीं काटा जाए लेकिन इन आदेशों के बाद जहां पहले पूरी सैलरी मिल रही थी, अब वहां भी यह कटनी शुरू हो गई है। इससे यह प्रतीत होता है कि या तो सरकार हमारे चिकित्सकों  के हितों के लिए गंभीर नहीं है या तो फिर  अधिकारी सरकार के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

संघ ने  इस निर्णय लिया कि इसमें कानूनी सलाह लेकर आगे की कार्यवाही  करी जाएगी और अगर जरूरत पड़ी तो  संघ संघर्ष करने से भी पीछे नहीं हटेगा। इस  बैठक में डॉक्टर ओमपाल शर्मा ,डॉक्टर राजेश राना डॉक्टर  प्रवीण चौहान,डॉ दिलवाग ठाकुर, डॉ मनोज ठाकुर ,डॉक्टर सन्नी धीमान, डॉक्टर विशाल जमवाल, डॉ राहुल कतना ,डॉक्टर पीयूष नंदा ,डॉ विजय राय और अन्य ने भाग लिया।

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