शांता ने थपथपाई सरकार की पीठ, कांग्रेस को दी नसीहत

रोना पर बेहतर कार्य व पटवारी भर्ती पर साफ सरकार दी बधाई केवल आरोप के लिए आरोप लगाना राजनीति नहीं विपक्ष को सलाह वीरभद्र से भी आग्रह कांग्रेस का करें मार्ग दर्शन संवाद सहयोगी पालमपुर भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं हिमाचल प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक साथ दो बधाईयां दी हैं। उनकी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 08:23 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 06:24 AM (IST)
शांता ने थपथपाई सरकार की 
पीठ, कांग्रेस को दी नसीहत
शांता ने थपथपाई सरकार की पीठ, कांग्रेस को दी नसीहत

संवाद सहयोगी, पालमपुर : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को बधाइयां दी हैं। पहली बधाई इस बात को लेकर रही कि कोरोना संकट के समय भाजपा शासित प्रदेशों में हिमाचल की कार्यकुशलता सबसे बढि़या रही है। दूसरी बधाई सरकार को पटवारी भर्ती परीक्षा में सीबीआइ जांच के बाद हाईकोर्ट की ओर से सभी आरोपों को खारिज करने को लेकर है।

वीरवार को जारी प्रेस बयान में शांता कुमार ने विपक्ष को नसीहत दी है कि भविष्य में किसी भी प्रकार के आरोप लगाने से पहले वह स्वयं अच्छी तरह से जांच कर लें। अच्छा होगा यदि विपक्ष प्रमुख नेताओं की एक समिति बनाए। पूरी छानबीन के बाद ही आरोप लगाएं। बिना जांच किए आरोप लगाना भी उचित नहीं है। बकौल शांता, जब भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं तो सरकार ही नहीं प्रदेश भी बदनाम होता है। अब जब पटवारी परीक्षा में भ्रष्टाचार के आरोप खारिज कर दिए हैं तो विपक्ष को गलत आरोप लगाने के लिए जनता से क्षमा मांगनी चाहिए। इससे विपक्ष का बड़प्पन प्रकट होगा। केवल आरोप लगाना ही राजनीति नहीं है। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि सत्ताधारी दल को भी चाहिए कि यदि विपक्ष आलोचना करता है तो उसके लिए विपक्ष का धन्यवाद करें। पक्ष और विपक्ष लोकतंत्र के रथ के दो पहिये हैं और दोनों अपने-अपने स्थान पर ठीक चलेंगे तभी लोकतंत्र सफल हो सकता है। शांता कुमार ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह से अपील की है कि वे इस दिशा में कांग्रेस का मार्गदर्शन करें। बकौल शांता, डॉ. परमार से लेकर उस समय की राजनीति उन्होंने देखी है। आज के मुकाबले उस समय की राजनीति बहुत अधिक रचनात्मक होती थी। याद है कि विधानसभा में कुछ विपक्षी विधायक जब डॉ. परमार पर व्यक्तिगत हस्तक्षेप करते थे तो वह और कंवर दुर्गा चंद उसका विरोध करते थे। हिमाचल में लोकतंत्र की अच्छी परंपरा रही है। उन्होंने सभी से अपील की है कि हिमाचल की राजनीति को और भी रचनात्मक बनाने की कोशिश करें।

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