शांता को विश्वास, स्वामी दिलाएंगे सुशांत को न्याय

वरिष्‍ठ भाजपा नेता शांता कुमार ने प्रसन्नता व्यक्त की है कि प्रसिद्ध नेता व वकील सुब्रह्मण्यम स्वामी सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले में सहायता कर रहे हैं

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Fri, 24 Jul 2020 03:51 PM (IST) Updated:Fri, 24 Jul 2020 03:51 PM (IST)
शांता को विश्वास, स्वामी दिलाएंगे सुशांत को न्याय
शांता को विश्वास, स्वामी दिलाएंगे सुशांत को न्याय

 पालमपुर, जेएएनएन। वरिष्‍ठ भाजपा नेता शांता कुमार ने प्रसन्नता व्यक्त की है कि प्रसिद्ध नेता व वकील सुब्रह्मण्यम स्वामी सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले में सहायता कर रहे हैं। बकौल शांता कुमार, स्वामी उनके पुराने मित्र हैं और उनकी शुक्रवार को फोन पर स्वामी से बात हुई है। उन्होंने विश्वास दिलाया है कि इस  मामले में वह पूरी सहायता करेंगे और सच को सामने लाएंगे। इसके साथ ही शांता कुमार ने राजनीति और साहित्य में भी गुटबाजी और मठाधीशी करने का आरोप लगाया है।

शांता कुमार के अनुसार, अगर कंगना का इशारा ठीक है कि सुशांत सिंह किसी साजिश के शिकार हुए हैं तो यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। इस संबंध में पूरी जांच से दोषियों को पकड़ा जाना चाहिए। होनहार युवा सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या पर प्रतिदिन नए-नए रहस्यों से पर्दे खुल रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिनेमा जगत से उनका न अधिक लगाव है न परिचय है परंतु देश की इस होनहार युवा प्रतिभा की आत्महत्या ने उन्हें भी हिला दिया है।

बकौल शांता, कंगना रनौत को सुनकर वह हैरान भी हैं और प्रसन्न भी। शांता कुमार के अनुसार, उसके शब्दों से आत्मविश्वास बोलता है और वह बहादुर है। पहली बार उससे सुना कि मूवी माफिया भी है। हिमाचल के गांव से उठ कर ऊंचाई पर पहुंची इस बेटी पर गर्व है।

शांता कुमार ने कहा कि साहित्य जगत में भी कुछ मठाधीश और गुटबाज हैं जो यह प्रबंध करते हैं कि किसको सम्मान दिलवाना है और किसको पीछे रखना है। उन्होंने उपन्यासकार शिवानी को कभी कोई बड़ा पुरस्कार नहीं मिला। बकौल शांता, शिवानी ने कहा था, 'मेरे पाठकों का मेरे प्रति प्यार ही सबसे बड़ा पुरस्कार है।शांता कुमार ने ऐसा ही परिदृश्य राजनीति के में भी बताया है। शांता के अनुसार, 'देश की राजनीति में भी बहुत कुछ इस प्रकार चल रहा है। आज से लगभग 60 वर्ष पहले जब मैं राजनीति में आया तो समर्पण, योग्यता और चरित्र के कारण स्थान और सम्मान मिलता था। अब प्रबंधन, तिकड़म परिवारवाद और चाटुकारिता सबसे बड़ी योग्यता हो गई है। कई जगह जीरो हीरो हो गए हैं और हीरो जीरो हो गए हैं! शांता ने यह भी कहा कि सब क्षेत्रों में ऐसे लोग भी हैं जो केवल अपनी प्रतिभा और समर्पण के कारण और भाग्य से अनुकूल वातावरण मिलने के कारण आगे बढ़ते हैं। आज के इस विकृत वातावरण में ऐसे लोग बड़े भाग्यशाली हैं। परंतु चिंता का विषय यह है कि ऐसे लोगों की संख्या कम हो रही है।

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