राजनीतिक बवाल, अफसरों पर तलवार

पिछले दिनों कांगड़ा के लोक निर्माण विभाग विश्राम गृह में राजनीतिक बैठक के आयोजन को लेकर विरोध की चिगारिया भले ही उड़ी। इस चिगारी की आग में कुछ भाजपा नेता भी निशाने पर आए। नेताओं ने तो बहाना एक आपसी बैठक का बताया पर परंतु यह रास भी पार्टी के अपनों को ही विपक्ष को भी रास नहीं आया। बैठक को लेकर बात उठी तो दूर तक भी गई। बैठक भले ही आपसी मेलजोल को लेकर हो पर बैठक के आयोजन को लेकर अधिकारियों पर भी इसकी तलवार गिरी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 08 Jun 2020 08:55 PM (IST) Updated:Tue, 09 Jun 2020 06:17 AM (IST)
राजनीतिक बवाल, अफसरों पर तलवार
राजनीतिक बवाल, अफसरों पर तलवार

जागरण टीम, धर्मशाला/कांगड़ा : पिछले दिनों कांगड़ा स्थित लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में राजनीतिक बैठक के विरोध की चिंगारी में कुछ भाजपा नेता भी निशाने पर आए हैं। नेताओं ने तो बहाना आपसी बैठक का बताया पर यह अपनों के साथ-साथ विपक्ष को भी रास नहीं आया। बैठक की बात उठी तो दूर तलक गई। बैठक भले ही आपसी मेल-जोल को लेकर हुई हो लेकिन आयोजन को लेकर तलवार अधिकारियों पर गिरी है। जवाबतलबी हुई तो पीडब्ल्यूडी कांगड़ा के अधिशाषी अभियंता ने लिखित जवाब एसडीएम को सौंप दिया है।

जवाब में स्पष्ट किया है कि बैठक के संबंध में वह अनभिज्ञ थे। अब सवाल यह है कि ऐसे में विभाग के रेस्ट हाउस में भाजपा नेताओं की बैठक के लिए किसके आदेश पर कमरे खुले और खाना बनाया गया। अभी तक इसका पटाक्षेप नहीं हुआ है। आम लोगों के लिए रेस्ट हाउस में ठहरना तो दूर खाना तक नसीब नहीं होता है। भाजपा नेताओं की बैठक व खाना खाने के मामले की जांच पर कांगड़ा प्रशासन ने रिपोर्ट जिला प्रशासन व सरकार को सौंपनी है। देखने वाली बात यह भी है कि अधिकारी तो पल्लू झाड़ रहे हैं लेकिन आपदा एक्ट में ही सरकारी रेस्ट हाउस में बैठक होना व उसके बाद खाना परोसना भाजपा नेताओं व सांसद को भी कटघरे में खड़ा कर रहा है।

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नोटिस का यह दिया जवाब

लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता संजीव महाजन ने जवाब दिया है कि विश्राम गृह प्रशासन के अधीन था। इसमें कौन आया, किसने बैठक की इसकी जानकारी विभाग के किसी भी अधिकारी व कर्मचारी के पास नहीं है।

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लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता ने लिखित जवाब एसडीएम कांगड़ा को दे दिया है। मामले की जांच चल रही है। एसडीएम कांगड़ा की रिपोर्ट के बाद ही कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

-राकेश प्रजापति, डीसी कांगड़ा

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