‘चिट्ठी’ ही नहीं, यह डाकिया भी दे रही संदेश

प्रदेश की पहली महिला डाकिया बन रक्कड़ की अदिति दे रही धर्मशाला में सेवाएं, परिजनों को नाज।

By BabitaEdited By: Publish:Thu, 11 Oct 2018 02:15 PM (IST) Updated:Thu, 11 Oct 2018 02:17 PM (IST)
‘चिट्ठी’ ही नहीं, यह डाकिया भी दे रही संदेश
‘चिट्ठी’ ही नहीं, यह डाकिया भी दे रही संदेश

धर्मशाला, मुनीष गारिया। यह सिर्फ एक चिट्ठी का आना भर नहीं...इसके साथ आता है महिला सशक्तीकरण और समाज में महिलाओं के बढ़ते रुतबे का संदेश। प्रदेश की पहली महिला डाकिया बन रक्कड़ की अदिति अब धर्मशाला में सेवाएं दे रही हैं।

परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि स्नातक के बाद आगे पढ़ाई कर सके। लेकिन, उन्होंने मजबूती से प्रयास कर प्रदेश की पहली महिला डाकिया होने का गौरव हासिल किया। अब वह धर्मशाला के चीलगाड़ी और डिपू बाजार के घरों में हर रोज चिट्ठी बांटने का काम भी बखूबी कर रही हैं। 

कांगड़ा जिले की रक्कड़ तहसील के मंडलियां गांव में छोटी सी दुकान चलाने वाले वेद प्रकाश की बेटी अदिति शर्मा ने गरीबी को अपने पैरों की बेड़ियां नहीं बनने दिया और अपने काम की बदौलत शहरवासियों के साथ साथ पूरे डाक मंडल धर्मशाला का दिल जीत लिया।

अदिति ने नादौन महाविद्यालय से नॉन मेडिकल के स्नातक की डिग्री हासिल की। लेकिन, पारिवारिक स्थिति ने जब रसायन शास्त्र में एमएससी करने में अदिति की हसरत रोक ली तो उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर कुछ अलग करने की ठानी। नतीजतन पिछले साल मई में अदिति ने डाक तार विभाग की इस प्रतियोगी परीक्षा में बैठने का निर्णय किया। मेहनत रंग आई और चयन के बाद नवंबर 2016 में प्रशिक्षण के बाद धर्मशाला मंडल में तैनाती मिली। दिसंबर 2017 में अदिति के पिता का एक बीमारी के कारण निधन हो गया। अदिति ने प्रदेश की पहली महिला डाकिया का गौरव हासिल करने के साथ-साथ उन लोगों को भी जवाब दिया जो कहते हैं कि पुरूष महिला एक समान नहीं होते।

कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता

कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता। जब ड्राइवर और कंडक्टर, जैसे साहसिक क्षेत्र में भी महिलाएं हाथ आजमा ही रही हैं तो डाकिया का काम करने में क्या खराबी है। मां कुसुमलता और पिता का सहयोग रहा जो आज इस मुकाम पर पहुंची हूं।

-अदिति शर्मा। 

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