हाथों की ऐसी कलाकारी, जिसे देखे दुनिया सारी

-दसवीं कक्षा में पढ़ती हैं दोनों बहनें उपायुक्त चंबा ने सराहे प्रयास संवाद सहयोगी चंबा पिछड

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 07:21 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 07:21 PM (IST)
हाथों की ऐसी कलाकारी, जिसे देखे दुनिया सारी
हाथों की ऐसी कलाकारी, जिसे देखे दुनिया सारी

-दसवीं कक्षा में पढ़ती हैं दोनों बहनें, उपायुक्त चंबा ने सराहे प्रयास संवाद सहयोगी, चंबा : पिछड़े जिला चंबा के बरौर क्षेत्र से संबंध रखने वाली दो बहनें आरती ओर ज्योति ने कोरोना महामारी के दौरान खाली समय का सही इस्तेमाल करते हुए चीड़ की पत्तियों से कई उत्पाद तैयार कर दिए हैं। दोनों बहनों ने चीड़ की पत्तियों से तैयार नेट गुलदस्ते, नेट पर्स, चीड़ की पत्तियों के गुलस्ते, कप ट्रे, फूलों की छोटी व बड़ी टोकरी के अलावा चपाती बाक्स जैसे उत्पादों को अपने हाथों से इतना सजाया है कि देखने वाला भी दंग रह जाता है।

आरती ओर ज्योति ने कोरोना महामारी के दौरान बनाए गए इन उत्पादों को उपायुक्त चंबा के समक्ष प्रस्तुत किया है। इस दौरान उन्होंने एक चपाती बाक्स उपायुक्त को भेंट स्वरूप प्रदान किया है, जिसकी उपायुक्त ने भी खूब सराहना की है। उन्होंने कहा कि आरती व ज्योति की ओर से बनाई गई वस्तुओं को चंबा जिले में होने वाले मेलों एवं त्योहारों के साथ अन्य तरह की गतिविधियों के दौरान प्रदर्शनी में बेचने के लिए स्लाट उपलब्ध करवाया जाएगा। आरती व ज्योति के पिता हेमराज का कहना है कि दोनों बेटियां पढ़ाई के साथ इस तरह के कार्यो में काफी निपुण हैं। एक से दो दिन में तैयार हो जाती हैं छोटी बड़ी वस्तुएं

चीड़ की पत्तियों के उत्पाद बनाने वाली बरौर के लंजी की दोनों बहनों का कहना है कि बड़ी वस्तु को बनाने के लिए उन्हें दो दिन का समय लगता है जबकि छोटी वस्तु एक दिन तैयार हो जाती है। चीड़ की पत्तियों के साथ वह इन उत्पादों को बनाने में रंग-बिरंगे धागों का इस्तेमाल करती हैं, जिससे उत्पाद अलग-अलग डिजाइन में तैयार होते हैं।

शून्य लागत उत्पाद हर कोई कर सकता है तैयार

यह एक शून्य लागत से तैयार किए जाने वाले उत्पाद हैं। धागों पर आने वाला खर्च भी नामात्र का होता है। ऐसे में घर में हर कोई इन्हें तैयार कर सकता है। इन उत्पादों को तैयार करने के लिए उन्होंने पांगी की रहने वाली महिला अनुराधा से कुछ ज्ञान लिया है। इसके बाद खुद ही उत्पादों को तैयार किया हैं। उनका कहना है कि अभी वह स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं ऐसे में स्वयं सहायता समूह आदि बनाने का उनका कोई विचार नहीं है।

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