शमशानघाट बनाने पर खर्च कर दिए लाखों
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संवाद सहयोगी, पांगी : वनमंडल पांगी की ओर से किलाड़ के महलु नाला में बनाया गया शमशानघाट आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है। वन विभाग की ओर से जो लाखों रुपये वन संपदा के संरक्षण पर खर्च करने थे, उन्हें शमशानघाट बनाने पर खर्च दिया गया है। हैरत की बात यह है कि इसका कोई उपयोग भी नहीं है। करीब तीन साल पहले तैयार इस शमशान घाट का कोई उपयोग न होने के कारण स्थानीय लोगों ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। साथ ही सरकार से इसकी जांच करवाने की मांग भी की है।
विभाग ने बिना आवश्यकता के लाखों रुपये इसको बनाने पर खर्च कर दिए। स्थानीय लोगों केवल कृष्ण, योगराज, नरेंद्र कुमार, ओम प्रकाश, देसराज, हरीश कुमार, रतन चंद, बंका राम, राम सिंह, तेज सिंह, कर्मचंद, बिशन लाल, देवराम तथा छतर कुमार का कहना है कि शमशानघाट का कार्य लोगों और पंचायत की मांग पर विकास खंड कार्यालय की ओर से करवाया जाता है। महलु नाले में इसकी आवश्यकता ही नहीं थी, क्योंकि, इस तरफ को लोग शवों का अंतिम संस्कार करने ही नहीं जाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पांगी में एकल प्रशासन प्रणाली के चलते ऐसे अनेक कार्य हुए हैं, यदि सरकार किसी निष्पक्ष एजेंसी से सभी कार्यो की जांच करवाती है तो कई खुलासे हो सकते हैं। लोगों का कहना है कि वन विभाग का कार्य वन संपत्ति और वनों को रक्षा करना है न कि शमशानघाट व अन्य भवन निर्माण का कार्य करवाना हैं। यदि कोई कार्य जनहित में करवाया जाता है तो जनता को उसका लाभ भी मिलना चाहिए। लोगों ने सरकार से मांग की है कि घाटी में होने वाले कार्यो की जल्द जांच करवाई जाए। शमशानघाट के निर्माण पर करीब बीस लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। दो वर्षो से इसका कोई कार्य नहीं किया गया। जल्द कार्य पूरा करके इसे लोगों को समर्पित किया जाएगा। इस शमशानघाट को बनाने की क्या आवश्यकता रही। इस बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं हैं। यह कार्य काफी पुराना है।
सुशील गुलेरिया, वन मंडल अधिकारी पांगी।