पांगी को बनाया जाए अलग विधानसभा क्षेत्र
पांगी फर्स्ट पंगवाल फर्स्ट एनजीओ ने पांगी को अलग विधानसभा क्षेत्र बनाने या विधानसभा क्षेत्र लाहुल से जोड़ने तथा आवासीय आयुक्त पांगी की पुरानी शक्तियां बहाल करने के लिए उपमंडलाधिकारी पांगी के माध्यम से राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।
संवाद सहयोगी, पांगी : पांगी फर्स्ट पंगवाल फर्स्ट एनजीओ ने पांगी को अलग विधानसभा क्षेत्र बनाने या विधानसभा क्षेत्र लाहुल से जोड़ने तथा आवासीय आयुक्त पांगी की पुरानी शक्तियां बहाल करने के लिए उपमंडलाधिकारी पांगी के माध्यम से राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन एनजीओ के मुख्य सलाहकार सूरम चंद ठाकुर की अगुआई में भेजा गया।
एनजीओ के अध्यक्ष इंद्रप्रकाश शर्मा ने कहा कि भरमौर-पांगी विधानसभा क्षेत्र दो अलग-अलग दिशाओं में बंटा हुआ है। इस कारण पांगी के लोगों को सरकारी, गैर सरकारी और निजी कार्यो को लेकर विधायक से मिलने के लिए भरमौर जाना पड़ता है।
विधायक का पांगी दौरा भी गर्मियों में ही हो पाता है जबकि सर्दियों में वाया जम्मू-कश्मीर या वाया मनाली-पांगी-भरमौर के बीच करीब 850 किलोमीटर की दूरी है। ऐसे में यदि सरकार और चुनाव आयोग पांगी को 1952 की तर्ज पर अलग विधानसभा क्षेत्र बनाता है, तो पांगी का अपना प्रतिनिधि घाटी का प्रतिनिधित्व करेगा या फिर साथ वाले विधानसभा क्षेत्र लाहुल-स्पीति से जोड़ा जाता है तो भी पांगी के लोगों को विधायक से मिलने और विधायक को यहां आवाजाही करने में खास परेशानी नहीं होगी।
वर्ष 1952 से 1967 तक पांगी विधानसभा क्षेत्र अलग था जिसमें चुराह का कुछ क्षेत्र भी शामिल था। 1968 से भरमौर विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। शर्मा ने कहा कि 1986 में पांगी को एकल प्रशासन प्रणाली के तहत लाकर सारी शक्तियां एक स्थान पर केंद्रित करने के उपरांत आवासीय आयुक्त पद सृजित करके भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी को लगाया गया था। बीच में सरकार द्वारा इसमें बदलाव किया गया है। सरकार 1986 की तर्ज पर आवासीय आयुक्त की शक्तियां बहाल करे, ताकि पांगी के लोगों के कार्य जैसे पहले आवासीय आयुक्त द्वारा किए जाते थे, फिर से हो सकें।