934 साल से यहां बुजुर्ग भी खेलते हैं कबड्डी

बताया जाता है कि चडिडा व ढांडी गांव के युवक पशुओं को चराने जाते थे। उस वक्त मनोरंजन के लिए युवा कबड्डी खेला करते थे।

By BabitaEdited By: Publish:Tue, 17 Apr 2018 01:03 PM (IST) Updated:Tue, 17 Apr 2018 01:03 PM (IST)
934 साल से यहां बुजुर्ग भी खेलते हैं कबड्डी
934 साल से यहां बुजुर्ग भी खेलते हैं कबड्डी

जुम्महार, जेएनएन। जिला चंबा में एक गांव ऐसा भी है, जहां कबड्डी के मैदान में बुजुर्ग भी उतरते हैं। करीब 934 वर्ष से गांव में यह अनूठी परंपरा चली आ रही है। जुम्महार में सदियों से चली आ रही इस परंपरा को मौजूदा पीढ़ी भी बखूबी निभा रही है। बताया जाता है कि चडिडा व ढांडी गांव के युवक पशुओं को चराने जाते थे। उस वक्त मनोरंजन के लिए युवा कबड्डी खेला करते थे। युवाओं के साथ जम्मू नाग देवता युवक के वेश में उनके साथ खेलने में मग्न हो जाते थे। एक दिन गांव के बुजुर्ग ने उस युवक के बारे में पूछ लिया। पल भर में युवक लुप्त हो गया है और पिंडी के रूप में धरती से प्रकट हुआ। ढांडी गांव में राणा परिवार रहता था। परिवार के एक सदस्य को जम्मू नाग ने स्वप्न में दर्शन दिए और मंदिर में कबड्डी का आयोजन वैशाख माह के तीसरे दिन करने का आदेश दिया। बुजुर्गों का कहना है कि उस समय से ही इस गांव में यह परंपरा चली आ रही है।

मौजूदा समय में जम्मू नाग का मंदिर जुम्महार में स्थित है और देवता के नाम से ही गांव का नाम जुम्महार पड़ा। मौजूदा समय में राणा परिवार डिग्गर और कैमली गांव में रहते हैं। यहां से जातर जुम्महार तक आती है और विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने के बाद कबड्डी खेली जाती है। किवदंतियों के अनुसार, जुम्महार गांव में एक मजदूर खेतों में हल चला रहा था। इस दौरान एक पत्थर बार-बार उसकी हल के बीच में आ रहा था।

उसने पत्थर को उठाकर किनारे पर रख दिया। मजदूर को स्वप्न में पिंडी के रूप ने जम्मूनाग होने की बात कही। स्वप्न में देवता ने निर्देश दिए कि उस पिंडी को पालकी में उठाकर ले जाया जाए और जहां पालकी भारी हो, वहां पर मंदिर स्थापित कर दिया जाए। लिहाजा जम्मूनाग का मंदिर यहां बनने पर गांव का नाम भी जुम्महार पड़ गया। देवता की उपस्थिति को लेकर चंबा रियासत के राजा उदय वर्मन ने सवाल उठाए थे।

इस दौरान मंदिर की स्थापना करने वाले दो भाइयों को राजा ने दरबार में बुला लिया और देवता के यहां मौजूद रहने का प्रमाण मांगा। जब जून में चंबा में तीन फुट बर्फ गिरी तो राजा को देवता की शक्ति का एहसास हो गया और उन्होंने दोनों भाइयों को ही पूजा-पाठ का दायित्व सौंपा।

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