चुराह के सैनिक केवल कृष्ण ने रचा इतिहास

मान सिंह वर्मा चंबा भारतीय सेना में बतौर हवलदार तैनात चंबा के चुराह क्षेत्र के ब्राहणा गांव

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 06:45 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:39 PM (IST)
चुराह के सैनिक केवल कृष्ण ने रचा इतिहास
चुराह के सैनिक केवल कृष्ण ने रचा इतिहास

मान सिंह वर्मा, चंबा

भारतीय सेना में बतौर हवलदार तैनात चंबा के चुराह क्षेत्र के ब्राहणा गांव के केवल कृष्ण ठाकुर ने भारतीय सेना के आर्मएक्स-21 स्कीइंग अभियान में भाग लेकर इतिहास रचा है। काराकोरम टू सिगला पास तक हुए इस एक्स्पीडीशन का 10 मार्च को लद्दाख के काराकोरम जोत से फ्लैग आफ किया गया था, जो छह जुलाई को उत्तराखंड के मलारी में संपन्न हुआ। एक्सपीडीशन में शामिल आठ सैनिकों ने 73 दिन में 1660 किलोमीटर बर्फीले व कठिन मार्ग को पार किया है, जिसमें 5500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले 25 पास (दर्रे) व 6362 मीटर ऊंची तीन पिक, जिन्हें माउंटेन जोक्से के नाम से भी जाना जाता है वह भी इसमें शामिल हैं। वर्ष 1995 में हुए हिममैक्स-95 एक्सपीडीशन के 25 साल बाद आर्मएक्स-21 का आयोजन किया गया है, जिसमें कुल आठ सैनिकों ने भाग लिया है, जिनमें तीन लोग हिमाचल के थे। इस स्की एक्सपीडीशन के दौरान सैनिकों ने चाइना बार्डर के उन सभी रास्तों व स्थलों का पता लगाया है, जहां से चीन सहित अन्य लोग भारतीय सीमा में पहुंचते हैं। साथ ही उन ठिकानों का भी पता लगाया है, जहां पर उनके ठहरने आदि की व्यवस्था हो सकती है। केवल ठाकुर का कहना है कि इस एक्सपीडीशन को पूरा करने में उनके कुल 119 दिन लगे हैं, जिसमें 73 दिन तक उन्होंने रन किया है, जबकि मौसम खराब रहने के चलते अन्य दिनों में उन्हें रुकना पड़ा। इस दौरान खाने-पीने व रहने का सामान भी उनके साथ ही था। केंद्र सरकार का रक्षा मंत्रालय, आर्मी चीफ व उच्च तु्गता युद्ध पद्धति स्कूल इस दल पर लगातार नजर बनाए हुए था। बकौल केवल यह एक्सपीडीशन काफी कठिन था। सर्दियों का समय होने के साथ पहाड़ों पर आक्सीजन लेवल भी काफी कम था। उन्होंने बताया कि इसके लिए करीब 140 सैनिकों की ट्रेनिंग हुई थी, जिनमें से कुल आठ ही चयनित हो पाए थे। केवल कृष्ण सहित दल में शामिल सभी सैनिकों को इस उपलब्धि के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सम्मानित भी किया है। केवल कृष्ण वर्ष 2003 में भारतीय सेना में बतौर सिपाही 13 जेक राइफल में भर्ती हुए थे। मौजूदा समय में बैंगडुबी बंगाल में बतौर हवलदार सेवाएं दे रहे हैं।

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