चुराह में स्थापित होंगी 65.5 मेगावाट की चार जलविद्युत परियोजनाएं

चुराह घाटी में 65.5 मेगावाट की चार जल विद्युत परियोजनाएं स्थापित होंगी। प्रदेश सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 06:01 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 06:01 PM (IST)
चुराह में स्थापित होंगी 65.5 मेगावाट की चार जलविद्युत परियोजनाएं
चुराह में स्थापित होंगी 65.5 मेगावाट की चार जलविद्युत परियोजनाएं

संवाद सहयोगी, चंबा : चुराह घाटी में 65.5 मेगावाट की चार जल विद्युत परियोजनाएं स्थापित होंगी। प्रदेश सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इन जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण की आधारशिला रखेंगे। इसमें 15 मेगावाट सेईकोठी चरण प्रथम, 16.5 मेगावाट सेईकोठी चरण द्वितीय, 16 मेगावाट देवीकोठी तथा 18 मेगावाट हैल जल विद्युत परियोजनाएं शामिल हैं।

यह जानकारी विधानसभा उपाध्यक्ष डा. हंसराज ने दी। उन्होंने सोमवार को हिमाचल राज्य बिजली बोर्ड के अधिकारियों के साथ परिधिगृह चंबा में परियोजनाओं से संबंधित पहलुओं की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि इन विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से कोई भी परिवार विस्थापित नहीं होगा। परियोजनाएं रन आफ रिवर पर आधारित होंगी।

इन जलविद्युत परियोजनाओं के चालू होने से जिला में सामाजिक और आर्थिक विकास के नए विकल्प उपलब्ध होंगे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में अब प्रदेश सरकार ने अपने संसाधनों के अनुरूप जलविद्युत परियोजनाओं को शुरू करने का निर्णय लिया है, जिससे स्थानीय लोगों के हितों को सुरक्षित रखने के साथ कार्यो की गुणवत्ता को भी सुनिश्चित बनाया जा सकेगा।

-------------

युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे

विधानसभा उपाध्यक्ष ने कहा कि निजी कंपनियों द्वारा संचालित विद्युत परियोजनाओं में स्थानीय लोगों की मांगें और शिकायतें तय सीमा के भीतर हल नहीं हो पाती हैं। कुछ मामले लंबे समय तक लंबित रहते हैं। हाइड्रो पावर इन हिमालय कार्यक्रम के तहत विद्युत परियोजनाओं को जर्मन केएफडब्ल्यू विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है। ये विद्युत परियोजनाएं सभी जिला वासियों के लिए सौगात होंगी। इसके अलावा निर्माण कार्य शुरू होने से सैकड़ों युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके साथ ही ऊर्जा राज्य के रूप में प्रसिद्ध हिमाचल प्रदेश में विद्युत ऊर्जा के नए आयाम भी स्थापित होंगे।

बैठक में अधीक्षण अभियंता डिजाइन एवं प्लानिग संजय जागोता, प्लानिग इंजीनियर सुरेश कुमार ने वन संरक्षण अधिनियम के तहत वन भूमि के मामले की वर्तमान स्थिति, परियोजनाओं से लाभ और संबंधित महत्वपूर्ण विषय पर जानकारी प्रदान की। इस दौरान वरिष्ठ अधिशासी अभियंता एचआइडी राजेश्वर कुमार सहित विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।

----------------

रन आफ रिवर का मतलब

रन आफ रिवर का मतलब होता है कि धारा को रोके बिना बिजली पैदा करना। इस तकनीक में पानी को इकट्ठा नहीं किया जाता मतलब डैम नहीं बनाया जाता है। बहते पानी को ही टरबाइन में डालकर बिजली पैदा की जाती है।

chat bot
आपका साथी