फायर वीटर व रेकर बने जंगलों के सुरक्षा कवच

चंबा में वनों को आग से बचाने के लिए फायर वीटर व रेकर सुरक्षा कवच साबित हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 09:05 PM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 09:05 PM (IST)
फायर वीटर व रेकर बने जंगलों के सुरक्षा कवच
फायर वीटर व रेकर बने जंगलों के सुरक्षा कवच

जागरण संवाददाता, चंबा : चंबा में वनों को आग से बचाने के लिए फायर वीटर व रेकर सुरक्षा कवच साबित हो रहे हैं। यही कारण है कि फायर सीजन शुरू हुए दो माह बीत चुके हैं, मगर चंबा में अभी तक नाममात्र जंगलों में ही आग लगी है। विभाग ने सभी बीट में जंगल की आग पर काबू पाने के लिए फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ फायर वीटर व रेकर के अलावा अन्य सामग्री प्रदान की गई है।

वन विभाग ने वृत्त से लेकर रेंज स्तर तक कमेटियों का गठन किया है जोकि वनों में लगने वाली आग की मॉनिटरिग करेंगी। सर्किल लेवल पर जो कमेटी गठित की गई है उसमें पांच कर्मचारी रखे गए हैं, जबकि मंडल स्तर पर बनी पांच कमेटियों में 19 व रेंज स्तर पर बनी 17 कमेटियों के लिए 95 लोग तैनात किए गए हैं। कमेटियों पर मुख्य अरण्यपाल, वन मंडल अधिकारी, रेंज अधिकारी व डिप्टी रेंजर नजर रखेंगे। इसके अलावा विभाग को जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए फायर टेकर्स व फायर बीटी समेत अन्य उपकरण उपलब्ध करवाए गए हैं।

जंगलों को आग से बचाने के लिए नई फायर लाइनें भी बनाई गई हैं। चंबा शहर के ऊंचाई वाले जंगलों में तीन किलोमीटर फायर लाइन बनाई गई हैं। ये उन स्थानों पर बनी हैं जहां हर वर्ष आग की घटनाएं होती हैं। इस बार वनों को आग से बचाने के लिए पहले से अधिक पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।

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फायर सीजन के लिए वन विभाग ने पूरी तैयारियां कर रखी हैं। वनों को आग से बचाने के लिए वृत से लेकर रेंज स्तर पर कमेटियों का गठन किया है। चंबा में आग की घटनों पर पूरी तरह से काबू पाने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है।

-ओपी सोलंकी, सीएफ, चंबा।

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फील्ड स्टाफ तुरंत डीएफओ को देगा जानकारी

जंगल में आग लगने की सूचना फील्ड स्टाफ को डीएफओ कार्यालय में देनी होगी। अरण्यपाल वन वृत्त चंबा ने अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। फील्ड में तैनात कर्मचारियों को मोबाइल फोन वर्किंग मोड में रखने के आदेश भी दिए हैं और हर कॉल का जवाब देने के लिए कहा है। सीएफ कार्यालय ने दो टूक कहा है कि कार्य में लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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उपज के अलावा हो रहा अन्य चीजों का नुकसान

वनों में आग लगने से देवदार, चीड़ व तोष की इमारती लकड़ियां तो नष्ट होती ही हैं, वनों की उत्पादकता में भी कमी आती है। इसके कई जीव-जंतु व जंगली जानवर भी मर जाते हैं।

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