घरों को रोशन करने के लिए कुम्हारों के चाक ने पकड़ी रफ्तार

जागरण संवाददाता चंबा दीपावली पर लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी के दीपक बनाने वाले कुम्ह

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 Oct 2021 06:23 PM (IST) Updated:Fri, 29 Oct 2021 06:23 PM (IST)
घरों को रोशन करने के लिए कुम्हारों के चाक ने पकड़ी रफ्तार
घरों को रोशन करने के लिए कुम्हारों के चाक ने पकड़ी रफ्तार

जागरण संवाददाता, चंबा : दीपावली पर लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी के दीपक बनाने वाले कुम्हारों के चाक ने रफ्तार पकड़ ली है। उन्हें इस बार अच्छी बिक्री की उम्मीद है। मिट्टी के दीपक, मटकी आदि बनाने के लिए माता-पिता के साथ उनके बच्चे भी हाथ बंटा रहे हैं। चंबा शहर में मिट्टी के दीपक बेचने के लिए पहुंचे नरेंद्र कुमार व संदीप कुमार को इस बार दीपावली में उन्हें अच्छे कारोबार की उम्मीद है, जिसका उदाहरण पहले दो दिन में ही मिल गया है। महज दो दिन में ही अजीत कुमार ने 500 से अधिक दीये बेच दिए हैं, जिससे अच्छी खासी कमाई भी हुई है।

चंबा में इस बार 30, 40 व रंगदार दीये पचास रुपये दर्जन के हिसाब से बेचे जा रहे हैं। वहीं सरकार की ओर से त्योहारों पर स्थानीय उत्पादों की खरीदारी किए जाने के आह्वान से इस बार कुम्हारों में ज्यादा बिक्री होने की उम्मीद जगी है। चीनी सामान का बहिष्कार भी इनकी खुशहाली में चार चांद लगाने के लिए तैयार है और अब तो पटाखे पर भी पूरी तरह रोक लगा दी गई है। दीपावली आगामी चार नवंबर को मनाई जाएगी। इस अवसर पर दीपों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है। बदलते ट्रेंड के साथ लोग डिजाइनर दीये भी खूब पसंद करने लगे हैं। वहीं चाइनीज दीयों से मोहभंग होने के चलते मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है। भारतवर्ष में दीपावली को बड़े पर्व के रूप में मान्यता दी जाती है। कुम्हारों ने दीया, कुल्लड़ और मिट्टी की घरिया और खेल-खिलौने बनाने का काम विश्वकर्मा पूजा से कुम्हारों के बीच शुरू हो जाता है। अबकी दीपावली कुम्हारों के लिए इसलिए खास लग रही है क्योंकि इस बार चीनी सामान के विरोध के चलते फिर से बाजार में मिट्टी के दीये व खेल-खिलौनों की डिमांड बढ़ गई है।

30 से 40 हजार दीयों की होगी बिक्री

नरेंद्र कुमार व संदीप कुमार ने बताया कि विश्वकर्मा पूजा से अब तक हजारों की संख्या में दीपक बनाकर रख दिए हैं और पकाने की प्रक्रिया के बाद रंग रोगन किया जा रहा है। पिछले साल करीब दस हजार दीपक व मिट्टी के अन्य सामग्री बेची थी। इस बार उम्मीद है कि 30 से 40 हजार तक दीयों की बिक्री होगी।

दीयों की अलग-अलग वैरायटी

बिक्री के लिए अब दीये की अलग-अलग वैरायटी बनाई गई है। 50 रुपये के 100 दीये बेचे जाते हैं, लेकिन दीया बनाना ही परेशानी का सबब नहीं बल्कि बिक्री करने में भी काफी दिक्कतें होती है। धनतेरस से लेकर दीपावली के दिन तक दीये की बिक्री करते हैं। ऐसे में बाजार में जिस किसी भी दुकान के सामने फुटपाथ पर दीये की बिक्री करते हैं। सड़क के दोनों तरफ सजी दुकानें

शहर की मुख्य सड़क पर सजावट और दीपावली पर खरीदे जाने वाले सामान की दुकानें सज गई हैं। बाजार में प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं। इससे शहर के मुख्य बाजार में रोज जाम की स्थिति भी बन रही है। शहर के मुख्य बाजार सहित अन्य स्थानों पर लोग खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं। सराफा बाजार, बर्तन, इलेक्ट्रानिक्स,फर्नीचर की खरीदारी के लिए भी लोग काफी तव्वजो दे रहे हैं। ऐसे में कोरोना की मंदी के चलते घाटे में चल रहे कारोबारियों व व्यापारियों को भी त्योहारी सीजन में उम्मीद जगी है। धनतेरस के लिए बर्तन बाजार से लेकर आटोमोबाइल सेक्टर में पूरी तैयारी है। वाहनों की भी एडवांस बुकिंग हो रही है। लक्ष्मी माता व भगवान गणेश के फोटो की मांग

सबसे अधिक मांग भगवान गणेश, माता लक्ष्मी व भगवान श्रीकृष्ण के फोटो व शुभलाभ लिखी विग चेन की है। दीपावली पर घर सजाने के लिए रंगोली का रोल सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए मार्केट में रेडीमेड रंगोली के सांचे, रेडीमेड रंगोली और डिजाइन की भी काफी डिमांड है।

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