खनन के खिलाफ एक 'पूर्ण' योद्धा

पूर्ण चंद ने बताया कि खनन माफिया के खिलाफ आवाज उठाना ही उसका कसूर था..., गांववासियों की दिक्कतों के हल के लिए साहस दिखाया।

By BabitaEdited By: Publish:Sat, 03 Feb 2018 01:54 PM (IST) Updated:Sat, 03 Feb 2018 01:54 PM (IST)
खनन के खिलाफ एक 'पूर्ण' योद्धा
खनन के खिलाफ एक 'पूर्ण' योद्धा
टांडा, जागरण संवाददाता। अवैध खनन के खिलाफ प्रदेश सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के दावों के बीच एक व्यक्ति को खनन के खिलाफ आवाज उठाना भारी पड़ गया। नाम है पूर्ण चंद जिसे कुछ दिन मंड क्षेत्र में कुछ लोगों ने इतना पीटा कि उसे निष्प्राण समझ कर पंजाब में फेक दिया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज

अस्पताल टांडा में उपचाराधीन पूर्ण चंद की आपबीती से पता चलता है कि शांतिप्रिय समझे जाते हिमाचल प्रदेश में भी कुछ लोग कानून को ठेंगा दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं।

 
बकौल पूर्ण चंद, 'मेरी छोटी-छोटी तीन बच्चियां हैं उनकी वजह से ही शायद मेरी जान बची। स्टोन क्रशर मालिकों और खनन माफिया के लोगों ने पहले मेरे सिर पर रॉड मारी, फिर बाजू व टांग तोड़ दी। इसके बाद गाड़ी में डालकर क्रशर पर ले गए। वहां क्रशर में डालकर मारने की कोशिश की, लेकिन ऐसा न करके उन्होंने मुझे पठानकोट के नजदीक सड़क पर फेंक दिया। मेरे सिर पर चोट लगी है, बाजू के तीन टुकड़े हुए हैं, टांग भी टूटी है।'

पूर्ण चंद ने बताया कि खनन माफिया के खिलाफ आवाज उठाना ही उसका कसूर था..., गांववासियों की दिक्कतों के हल के लिए साहस दिखाया। 30 जनवरी को वह तिलकराज शर्मा के साथ स्कूटर पर दोपहर करीब एक बजे इंदौरा एसडीएम से मिलने जा रहा था। वह वहां कुछ आरटीआइ के कागजात तैयार करवाने लगा और तिलकराज स्कूटर में पेट्रोल डलवाने गया। उसके पीछे खनन माफिया के लोग लग गए। शायद पेट्रोल पंप पर ज्यादा लोग होने के कारण उसे तो उन्होंने कुछ नहीं कहा। मुझे पौने दो बजे तिलक राज ने फोन किया कि क्रशर वाले हमारे पीछे लग गए हैं आप किसी तरह बचाव कर लो। मैं वहां से पैदल चलकर कृषि विभाग के दफ्तर के पास पहुंचा। मैंने वहां से एसडीएम साहब को फोन किया। उन्होंने बैठकर बात करने को कहा। करीब दो बजे मेरे परिचित अजय कुमार जेई ने मुझे एकलड़के के मोटरसाइकिल पर लिफ्ट दिला दी। टांडा मोड़ में उसने कहा कि वह अरनी यूनिवर्सिटी की तरफ जा रहा है।

 
टांडा मोड़ से दो किलोमीटर आगे सड़क पर पांच-छह गाडिय़ों में 30-40 लोग खड़े थे। उन्होंने रॉड, तलवार और डंडों से मुझ पर हमला कर दिया। पहला वार सिर पर किया गया, जिसकी वजह से मैं यह नहीं बता सकता कि मुझे तलवार किसने मारी, रॉड किसने मारी या डंडों से वार किसने किया, लेकिन स्टोन क्रशर के मालिक समेत जिन लोगों को मैं पहचानता था उनके बारे में पुलिस को बता दिया है। मुझे बुरी तरह पीटा गया तो कुछ लोग भी वहां आए गए। फिर गाड़ी में डालकर चूड़पुर क्रशर पर ले गए। वहां क्रशर में डालने लगे, फिर पता नहीं दिमाग में क्या आया और गाड़ी में डालकर पंजाब बार्डर की तरफ ले गए। मेरा मोबाइल छीन लिया गया। जेब में करीब छह हजार रुपये थे, पता नहीं कहां गिर गए या निकाल लिए गए। दूसरी जेब में 110 रुपये थे जिन्हें मैंने गाड़ी में बैठे दिनेश कुमार को दिया। मुझे पहले नंगलभूर ले जाया गया, वहां लकड़ी के टाल में चारदीवारी के अंदर 15-20 मिनट गाड़ी खड़ी रखी।
 
मुझे बार-बार प्यास लग रही थी, लेकिन मेरा मुंह ढका था, मुझे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। जब मैंने उनसे मिन्नत की कि सांस आने दो तो हल्का सा मुंह नंगा किया। मैंने वहां भड़ोलीकलां नाम का बोर्ड पढ़ा। उन्होंने मुझे आगे ले जाकर पठानकोट की तरफ सड़क पर फेंक दिया। मुझे पठानकोट पुलिस ने सिविल अस्पताल पहुंचाया। वहां मैंने एक जानने वाले एंबुलेंस ड्राइबर के मोबाइल फोन से तिलक राज को फोन किया। उसके बाद मुझे यहां पहुंचाया गया। आरोपियों की धरपकड़ के लिए टीमें गठित की गई हैं। डीएसएपी मेघराज चौहान के नेतृत्व में मामले की जांच की जा रही है।

आज टीमों ने चंबा समेत अन्य कई जगहों पर दबिश दी है। आरोपी जल्द गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।'

-संतोष पटियाल, एसपी कांगड़ा।

 
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