गेहड़वीं में वर्षाशालिका नहीं, बारिश व धूप में बाहर खड़े होते हैं लोग

संवाद सहयोगी गेहड़वीं विधानसभा क्षेत्र झंडूता के तहत गेहड़वीं बाजार व्यापारिक दृष्टि से उ

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 04:16 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 04:16 PM (IST)
गेहड़वीं में वर्षाशालिका नहीं, बारिश व धूप में बाहर खड़े होते हैं लोग
गेहड़वीं में वर्षाशालिका नहीं, बारिश व धूप में बाहर खड़े होते हैं लोग

संवाद सहयोगी, गेहड़वीं : विधानसभा क्षेत्र झंडूता के तहत गेहड़वीं बाजार व्यापारिक दृष्टि से उन्नति कर रहा है, लेकिन करीब तीन दशक बीतने के बाद भी यह बाजार मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। बाजार में धूप व बरसात से बचने के लिए एक वर्षाशालिका का निर्माण नहीं हो पाया है। लोगों को मजबूरी में दुकानों में शरण लेनी पड़ती है या फिर खुले आसमान के नीचे समय व्यतीत करना पड़ता है।

गेहड़वीं बाजार आजादी के तीन वर्ष बाद 1950 में अस्तित्व में आ गया था, उस समय यहां केवल तीन ही दुकानें थी, लेकिन समय बीतने के साथ ही आज यह सबसे बड़ा बाजार है। यहां करीब 150 छोटी-बड़ी दुकानें हैं।

आज यह झंडूता विधानसभा क्षेत्र की नौ पंचायतों का केंद्र है जहां पर लोग खरीददारी के लिए आते हैं। इनमें ग्राम पंचायत जांगला, बड़ोल देवी, दाड़ी बाड़ी, नखलेहड़ा, बैहना जट्टां, गुग्गा गेहड़वीं, बैरी मियां, समोह, हीरापुर आदि शामिल हैं। इसके अलावा बड़ोल देवी मंदिर को पहुंचने के लिए भी इसी बाजार से गुजरना पड़ता है। इसके अलावा यहां पर बैंक, डाकघर, पीएचसी, सब डिवीजन लोक निर्माण विभाग का कार्यालय, जल शक्ति विभाग का सब डिवीजन, बिजली बोर्ड का कार्यालय, पटवार घर, पशु चिकित्सालय, सरकारी व गैर सरकारी स्कूल भी खुल चुके हैं जहां पर कई विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं। वर्षाशालिका न होने के कारण लोगों का कहना है कि धूप में लोग किसी न किसी तरह से खुले आसमान में खड़े रह जाते हैं, लेकिन बारिश के दौरान लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ---------------

गेहड़वीं बाजार में प्रतिदिन तीन सौ से अधिक लोग खरीददारी के लिए आते हैं। इसके अलावा यहां पर अन्य कार्यालय भी हैं जहां पर लोग अपना काम करवाने के लिए आते हैं। ऐसे में यहां पर वर्षाशालिका का निर्माण होना जरूरी है।

-दीप शर्मा।

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वर्षाशालिका न होने के कारण सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को होती है। पुरुष तो दुकानों में बैठ जाते हैं, लेकिन बारिश के समय महिलाओं को इधर-उधर भटकना पड़ता है। प्रशासन को चाहिए कि बाजार में वर्षाशालिका बनाई जाए।

-रीता देवी।

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गेहड़वीं बाजार में वर्षाशालिका होना बहुत जरूरी है। बारिश के समय लोग दुकानों में सहारा लेने को मजबूर होते हैं, जिस कारण लोगों के साथ दुकानदारों को भी परेशानी दिक्कत होती है। यदि यहां पर वर्षाशालिका बनती है तो लोगों को सुविधा मिलेगी।

-प्रदीप कुमार।

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तीन दशक में गेहड़वीं बाजार ने काफी उन्नति की है। पहले केवल बाजार में गिनी चुनी दुकानें होती थी, लेकिन अब करीब डेढ़ सौ दुकानें हैं, जहां पर प्रतिदिन तीन सौ से अधिक लोग खरीददारी के लिए आते हैं। ऐसे में वर्षाशालिका मूलभूत जरूरत है।

-कशमीर सिंह।

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