स्पीड ब्रेकर पर वाहन गुजरने से हो रही कंपन
राष्ट्रीय राजमार्ग शिमला-मटौर पर स्थित दकड़ी चौक में स्पीड ब्रेकर से दिक्कत हो रही है।
संवाद सहयोगी, दकड़ी चौक : राष्ट्रीय राजमार्ग शिमला-मटौर पर स्थित दकड़ी चौक में रात के अंधेरे में भूकंप जैसी कंपन महसूस कर कई लोग जाग जाते हैं। बाद में उन्हें महसूस होता है कि यह भूकंप नहीं बल्कि सड़क पर कोई बड़ा वाहन गुजर रहा है जिस कारण कंपन हो रही है। यह किसी एक दिन की समस्या नहीं है बल्कि राष्ट्रीय राजमार्ग शिमला-मटौर पर दकड़ी चौक के पास लगाए गए स्पीड ब्रेकर पर बड़े वाहनों के गुजरने के बाद आए दिन लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि दकड़ी चौक पर जब भी कोई बड़ा वाहन गुजरता है तो आसपास के मकानों में भारी कंपन पैदा होती है। इससे कई बार रात को यह आभास होता है कि जैसे भूकंप आ रहा हो। दकड़ी चौक पर दो जगह स्पीड ब्रेकर लगाए गए हैं। एक साथ छह स्पीड ब्रेकर पट्टियां लगाने से समस्या हो गई है। इन स्पीड ब्रेकर पर सफेद रंग की पट्टियां लगाई गई हैं ताकि कोई वाहन चालक अपनी तेज रफ्तार को कम कर सके। कई वाहन चालक इतने लापरवाह हैं कि वे इन स्पीड ब्रेकर पर तेज रफ्तार से गुजर जाते हैं। इससे बहुत ज्यादा कंपन पैदा होती है। रात के समय समस्या और बढ़ जाती है क्योंकि ट्रैफिक कम होने से वाहन तेज रफ्तार से इनके ऊपर से गुजरते हैं। ऐसे में आसपास के घरों में रहने वाले लोगों की नींद में खलल पड़ता है।
स्थानीय निवासी संजय महाजन, ओमकार, श्याम लाल, अनिल, रिकू, अरविद व सुशील ने बताया कि ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विभाग द्वारा किए कार्य से उन्हें काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। स्पीड ब्रेकर से कंपन इतनी तेज होती है कि ऐसा लगता है कि भूकंप आ गया हो। इस समस्या के संबंध में उन्होंने घुमारवी के एसडीएम राजीव ठाकुर को भी अवगत करवाया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लोगों ने मांग की है कि इन स्पीड ब्रेकर से हो रही समस्या को हल किया जाए। यहां प्लास्टिक से बने स्पीड ब्रेकर या साधारण स्पीड ब्रेकर बनाए जाएं ताकि उन्हें दिक्कत का सामना न करना पड़े। लोगों ने यह भी मांग की है कि यहां ट्रैफिक लाइट कई महीने से बंद पड़ी है जिसे ठीक करवाया जाए। सरकार के दिशानिर्देश पर लगाए स्पीड ब्रेकर
सरकार के दिशानिर्देश के अनुसार ही स्पीड ब्रेकर लगाए गए हैं। जगह-जगह वाहनों की तय रफ्तार के बोर्ड लगाए गए हैं। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यह कदम जरूरी है।
-प्रमोद कश्यप, अधिशाषी अभियंता, एनएच