भाजपा से नहीं बनी बात, कांग्रेस ने भी नहीं दिया साथ

राजेश्वर ठाकुर बिलासपुर नगर परिषद घुमारवीं के चुनाव में भाजपा की अंदरुनी राजनीति में ज

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 07:25 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 07:25 PM (IST)
भाजपा से नहीं बनी बात, कांग्रेस ने भी नहीं दिया साथ
भाजपा से नहीं बनी बात, कांग्रेस ने भी नहीं दिया साथ

राजेश्वर ठाकुर, बिलासपुर

नगर परिषद घुमारवीं के चुनाव में भाजपा की अंदरुनी राजनीति में जारी टकराव से नुक्सान में रहे राकेश चोपड़ा को कांग्रेस से फायदे की आस भी पूरी नहीं हो पाई। हलके के विधायक एवं मंत्री राजिंद्र गर्ग के साथ सीधे टकराव की स्थिति में भाजपा की घोषित उम्मीदवार को हराकर अपनी बेटी निशा चोपड़ा को जितवाने वाले राकेश चोपड़ा की अपनी बेटी को अध्यक्ष पद तक पहुंचाने की कोशिशों पर आज कांग्रेस ने पानी फेर दिया।

कांग्रेस ने अपनी पार्टी की नेत्री रीता सहगल के साथ अतीत के तमाम विवादों को भुलाकर अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठा दिया तथा सारे मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले श्याम शर्मा व रीता के रिश्तों की कड़वाहट भी खत्म करके उन्हें उपाध्यक्ष बना दिया। कुल मिलाकर आर पार की जंग में न तो भाजपा के हिस्से कुछ आया और न ही राकेश चोपड़ा ही अपने लक्ष्य तक पहुंच पाए। सारे घटनाक्रम में घुमारवीं विस हलके के पूर्व विधायक राजेश धर्माणी ने आने वाले दौर में हलके के शहरी क्षेत्र में पार्टी की साख मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

नगर परिषद घुमारवीं क्षेत्र में भाजपा के पास बहुमत नहीं था। कांग्रेस के पास स्पष्ट बहुमत था। कांग्रेस के कपिल शर्मा ने भाजपा के ही वरिष्ठ नेता राकेश चोपड़ा को इस चुनाव में पटखनी दी थी। श्याम शर्मा कांग्रेस की ओर से ही अंदरुनी विरोध के बावजूद जीतकर आ गए थे। चुनाव के दौरान रीता सहगल व कांग्रेस के बीच भी कुछ समय तक दूरियां रहीं लेकिन बाद में कांग्रेस रीता सहगल के साथ आ गई थी। रीता जीत गईं। वार्ड नंबर सात से राकेश कुमार चुनाव जीते थे।

भाजपा के पास अश्वनी रत्वान, निशा चोपड़ा व उर्मिला कुमारी थीं। मतलब बहुमत नहीं था। लेकिन भाजपा नेता राकेश चोपड़ा अपनी बेटी को फिर भी अध्यक्ष पद तक पहुंचाने की कोशिशों में थे। इसके लिए उनके करीबी पार्षद अश्वनी रत्वान ने भी दावा किया। मतलब इन सभी की नजरें कांग्रेस की अदंरुनी राजनीतिक कड़वाहट पर थी।

माना जा रहा था कि श्याम शर्मा पूर्व विधायक राजेश धर्माणी से नाराज हैं क्योंकि श्याम शर्मा के मुकाबले में राम स्वरूप को राजेश धर्माणी की मौन सहमति से ही उतारा गया था। श्याम शर्मा व उनके समर्थकों ने चुनाव में कहीं प्रत्यक्ष तथा कहीं परोक्ष तौर पर धर्माणी व उनके कुछ समर्थकों के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी। ऐसा ही हाल रीता के साथ था। रीता ने नगर परिषद में ढाई साल बाद गीता महाजन को हटाने के लिए राकेश चोपड़ा का साथ दिया था और पार्टी के अनुशासन को भंग किया था लेकिन जैसे ही नतीजे आए तो राजेश धर्माणी ने समर्थकों के साथ मनमुटावों को दूर करने की ओर कदम बढ़ाए। आज तय तारीख पर दोनों को कांग्रेस ने चुन भी लिया और राकेश चोपड़ा की हसरतें धरी रह गईं।

मतलब भाजपा से मात खाए हुए चोपड़ा की नगर परिषद की सत्ता में बेटी निशा चोपड़ा के जरिए लौटने की कोशिशें भी सिरे नहीं चढ़ पाईं। हालांकि एक कोशिश रीता सहगल को कुर्सी पर बिठाने से कुछ दिन पहले कांग्रेस व चोपड़ा दोनों ओर से बातचीत के जरिए हुई थी लेकिन यह विफल हुई। क्योंकि धर्माणी ने अगले दो वर्षो में होने वाले चुनाव के लिए अपनी ही पार्टी काडर के पुराने नेताओं को इकट्ठा रखने के लिए तरजीह दी न कि बाहर से किसी को पार्टी में लाकर उसके हाथ सत्ता सौंपने की।

chat bot
आपका साथी