पक्के होने से पहले ही टूटने लगे यमुना नहर किनारे

पश्चिमी यमुना नहर की क्षमता बढ़ाने के लिए किनारों को पक्का करने का काम चल रहा है। यह काम पूरा होने से पहले ही किनारे टूटने लगे हैं। क्षेत्र का लोगों का आरोप है कि ठेकेदार निर्माण कार्य में घटिया सामग्री प्रयोग कर रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 10:27 AM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 10:27 AM (IST)
पक्के होने से पहले ही टूटने लगे यमुना नहर किनारे
पक्के होने से पहले ही टूटने लगे यमुना नहर किनारे

संजीव कांबोज, यमुनानगर : पश्चिमी यमुना नहर की क्षमता बढ़ाने के लिए किनारों को पक्का करने का काम चल रहा है। यह काम पूरा होने से पहले ही किनारे टूटने लगे हैं। क्षेत्र का लोगों का आरोप है कि ठेकेदार निर्माण कार्य में घटिया सामग्री प्रयोग कर रहा है। उल्लेखनीय है कि हमीदा हेड से मुनक तक पश्चिमी यमुना नहर के किनारे पक्के होंगे। इस परियोजना पर करीब 100 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह नहर दक्षिण हरियाणा की लाइफ लाइन मानी जाती है।

किनारे पक्का करने का काम करीब एक वर्ष पहले शुरू हुआ था। जिस ठेकेदार के पास किनारे पक्के करने का टेंडर है, उसी के पास नहर से रेत निकालने का भी टेंडर है। आरोप है कि किनारे पक्के करने की ओर ध्यान कम जबकि रेत निकालने की ओर अधिक है। बारिश के सीजन एक बार तो पोटली गांव के पास नहर किनारा टूट भी चुका है। इसके अलावा गांव घेसपुर के सामने, पोटली के पास भी क्षतिग्रस्त व रादौर में पक्का घाट के सामने भी किनारे अभी से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। किनारे टूटने की संभावना

30 जून तक किनारे पक्के किए जाने का काम करना है, लेकिन जिस गति से काम चल रहा है, उसको देखकर नहीं लगता है कि निर्धारित समय पर यह काम पूरा हो जाएगा। क्षेत्र के रामस्वरूप, मेहर चंद, विनोद कुमार, प्रमोद, अमरजीत व रामलाल ने बताया कि नहर के किनारों को पक्का करने के काम में कोताही ही बरती जा रही है और देरी भी। कई जगह से किनारे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ये पानी की धार को नहीं झेल पाएंगे। ऐसे में फिर टूटने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। यह है सरकार की योजना

अभी नहर की क्षमता 15,733 क्यूसेक है। किनारों को पक्का करने के बाद बढ़कर 17,530 क्यूसेक हो जाएगी। यह नहर हथनीकुंड बैराज से अलग होती है और करनाल की ओर जा रही है। यहां मूनक हेड से होकर दक्षिण हरियाणा में प्रवेश कर जाती है। पश्चिमी यमुना नहर की क्षमता बढ़ाने के दो फायदे होंगे। पहला यह कि सामान्य दिनों में दक्षिण हरियाणा के विभिन्न जिलों को सिचाई व पीने के लिए अतिरिक्त पानी मिल सकेगा। दूसरा, यमुना नदी में पानी का बहाव अधिक होने पर इस नहर में डायवर्ट किया जा सकेगा। विशेष तौर पर बारिश के दिनों में ऐसा करना मजबूरी हो जाती है। कई वर्ष से सूखी पड़ी नहर

हमीदा हेड से आगे पश्चिमी यमुना नहर कई वर्ष से सूखी पड़ी है। किनारों को पक्का करने का काम शुरू होने से पहले से ही सप्लाई बंद है। पहाड़ी क्षेत्रों से पानी के बहाव की कमी के कारण अभी नहर में पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। हमीदा हेड यमुनानगर से पानी की सप्लाई बंद है। एक नजर नहर के इतिहास पर

पश्चिमी यमुना नहर पृथ्वीराज चौहान के युग से पहले की है। 1335 में इसे पुनर्निर्मित किया गया। ताजवाले बैराज बांध 1889-95 में बनाया गया, जो देखरेख के अभाव में वर्ष 2011-12 में बह गया। सरकार ने वर्ष 1999 में हथनी कुंड बैराज को निर्माण किया। यहां से पानी डायवर्ट किया जाता है।

पश्चिमी यमुना नहर के किनारों को पक्का करने में कोताही बरतने की शिकायत मिलने पर मैंने दौरा किया था। पक्के घाट के पास पानी के बहाव के कारण किनारे टूटे हुए मिले थे। इस बारे सिचाई विभाग के अधिकारियों व संबंधित ठेकेदार को सख्त हिदायत दी है कि किनारों को पक्का करने के काम में कोताही न बरती जाए।

-कंवर सिंह, एसडीएम, रादौर। नहर के किनारों को पक्का करने के लिए ठेकदार के पास 30 जून का तक का समय है। वैसे तो हमारा प्रयास है कि निर्धारित समय में काम पूरा कर लिया जाए, लेकिन यदि नहीं होता तो इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है। यदि किनारे कहीं से क्षतिगस्त हो गए हैं तो जांच करवाई जाएगी।

-विमल बिश्नोई, एसई, सिचाई विभाग।

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