जसबीर के शौक से महिलाएं व युवतियां बन रहीं आत्मनिर्भर

वह घर के लिए ही यह चीजें बनाती है। उनकी इस कला केबारे में आसपास की महिलाओं को पता लगा तो वह भी उनसे सीखने लगी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 04:46 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 04:46 AM (IST)
जसबीर के शौक से महिलाएं व युवतियां बन रहीं आत्मनिर्भर
जसबीर के शौक से महिलाएं व युवतियां बन रहीं आत्मनिर्भर

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

प्रोफेसर कालोनी की जसबीर रानी के शौक से महिलाएं और युवतियां आत्मनिर्भर बन रही हैं। जसबीर क्रोशिए की मदद से जर्सी, मफलर, टोपी, स्कार्फ, जुराबें व दस्ताने तैयार करती हैं। वह घर के लिए ही यह चीजें बनाती है। उनकी इस कला के बारे में आसपास की महिलाओं को पता लगा, तो वह भी उनसे सीखने लगीं। उन्होंने 15-20 महिलाओं को क्रोशिए की मदद से बुनाई करना सिखाया।

जसबीर रानी मूल रूप से गांव कोतरखाना की रहने वाली हैं। शादी के बाद यहां आ गई। वह गृहिणी हैं। मां से उन्होंने क्रोशिए से बुनाई करना सीखा था। शादी के बाद वह घर पर भी मेज, बेड की चादरें खुद ही तैयार करती थीं। घर पर आने वाली महिलाएं भी उनकी बुनाई को देखकर बड़ी तारीफ करती थी। जसबीर का कहना है कि उनकी मां यह बुनाई करती थी। अब तो किसी शादी समारोह में भी जाते हैं, तो उपहार के तौर पर हाथों से तैयार चादर, थाल पोश, मेज पोश को ही देते हैं। इन्हें काफी पसंद किया जाता है। पड़ोस की महिलाओं ने भी सीखा :

जसबीर की इस कुशलता को देख पड़ोस की महिलाएं भी उनके आने लगी। उन्हें भी सिखाया। अब ये महिलाएं बाजार से चादर या मेजपोश नहीं खरीदती। खुद ही कपड़े पर आकर्षक डिजाइन तैयार कर लेती हैं। यहां तक कि सूट पर वह आकर्षक कढ़ाई करती हैं। जसबीर का कहना है कि आज के समय में हर कुछ रेडीमेड मिल रहा है, लेकिन हाथों से तैयार सामान की अलग की बात है। यही वजह है कि कई लड़कियों ने भी उनसे क्रोशिए से डिजाइन बनाना सीखा है। उन्हें निशुल्क सिखाया गया है। अब वह घर के लिए यह सामान तैयार कर लेती हैं। कुछ लड़कियों के पास डिजाइन के लिए ऑर्डर भी आते हैं।

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