शिक्षा की रोशनी से धुला नशे का दाग

एक शिक्षक का धर्म होता है बचों को संस्कार प्रदान करना। इस कसौटी पर यमुनानगर की प्रोफेसर सुजाता खरी उतर रहीं हैं। शिक्षक से इतर एक धर्म उन्होंने उन बचों के लिए भी निभाया है जो नशे की लत के कारण बर्बादी की कगार पर थे। इनकी रग-रग से नशे की बंदों को निचोड़ कर सुजाता ने उन्हें जिंदगी के उस पायदान पर खड़ा कर दिया है जहां से एक उज्ज्वल भविष्य की किरणें साफ नजर आती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Oct 2019 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 23 Oct 2019 06:30 AM (IST)
शिक्षा की रोशनी से धुला नशे का दाग
शिक्षा की रोशनी से धुला नशे का दाग

नितिन शर्मा, यमुनानगर

एक शिक्षक का धर्म होता है बच्चों को संस्कार प्रदान करना। इस कसौटी पर यमुनानगर की प्रोफेसर सुजाता खरी उतर रहीं हैं। शिक्षक से इतर एक धर्म उन्होंने उन बच्चों के लिए भी निभाया है, जो नशे की लत के कारण बर्बादी की कगार पर थे। इनकी रग-रग से नशे की बंदों को निचोड़ कर सुजाता ने उन्हें जिंदगी के उस पायदान पर खड़ा कर दिया है, जहां से एक उज्ज्वल भविष्य की किरणें साफ नजर आती हैं।

एक दिन बदला जिंदगी का नजरिया

यमुनानगर जिले के छछरौली कस्बे में स्थित महाविद्यालय में नियुक्त जूलोजी की प्रोफेसर शक्तिनगर निवासी सुजाता शर्मा की जिंदगी में 2013 में तब बड़ा बदलाव आया, जब उन्होंने सड़कों पर छोटे बच्चों को नशे की लत का शिकार पाया। मन व्यथित हुआ तो इस दिशा में कुछ सार्थक करने की ठान ली। शिक्षा के पेशे से कीमती वक्त चुराकर उन्होंने स्लम एरिया की ओर रुख किया। पहले कदम पर तमाम बाधाएं भी सामने आई, मगर उनके कदम नहीं रूके। शिक्षण संस्थाओं में भी उन्होंने जागरूकता अभियान छेड़ दिया। धीरे धीरे ही सही उनके इस अभियान का लोग हिस्सा भी बनने लगे। प्रयास रंग लाने लगे तो कदम-कदम पर सराहना भी मिलने लगी।

काउंसिलिंग भी शुरू की

सुजाता बताती हैं कि नशे के खिलाफ मुहिम छेड़ने के पीछे उनका मकसद बचपन को बचाना है। नशा सोचने समझने की क्षमता को कमजोर करता है, बस यही बात बच्चों को समझानी है। अब तक उन्होंने तकरीबन सौ से अधिक बच्चों की नशे की लत छुड़वाई है। जरूरत पड़ने पर उन्होंने नशे के आदी बच्चों के साथ-साथ उनके परिजनों की भी काउंसिलिंग की।

इसलिए की शुरुआत

सुजाता बताती हैं कि वे देखती थी कि सड़कों पर छोटे बच्चे नशा कर रहे हैं। जिन्हें यह भी नहीं पता होता था कि यह उनके लिए कितना घातक है। एक दो बच्चों को टोका भी, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने इन बच्चों के अभिभावकों से संपर्क कर उनको भी समझाया, तब जाकर यह अभियान सिरे चढ़ा।

किशोरियों के लिए यह करती हैं काम

सुजाता स्लम एरिया में जाती हैं। यहां अधिकतर किशोरी उनको ऐसी मिली जिनके लिए स्वच्छता का कोई महत्व नहीं है। गंदे कपड़ों में रहना आदत बन चुकी है। ऐसी किशोरियों को एकत्रित किया। उनको क्लास की तरह पढ़ाया। उनको बताया कि स्वच्छता अपनाएं। सुजाता साई सौभाग्य के साथ जुड़ी हैं। उनका कहना है कि सेवा का ये मौका संस्था के माध्यम से उनको मिला है।

इसके लिए भी करती हैं जागरूक

सुजाता थैलीसिमिया को लेकर भी जागरूक कर रहीं हैं। इसके लिए सेमिनार का आयोजन करती हैं। इस दौरान छात्राओं को भी सफाई से लेकर डाइट तक की जानकारी उपलब्ध कराती हैं। सुजाता साधारण परिवार से हैं। इनके पिता बैंक से रिटायर हैं। माता शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुई हैं। इनके पति विनोद कुमार कॉमर्स के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वे भी छछरौली के महाविद्यालय में कार्यरत हैं।

chat bot
आपका साथी