10 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां अपग्रेड, मिलेंगी बेहतर सेवाएं : डा. दिलीप मिश्रा

आयुष की ओर रुझान बढ़ रहा है। डिस्पेंसरियों को आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तब्दील

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 11:22 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 11:22 PM (IST)
10 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां अपग्रेड, मिलेंगी बेहतर सेवाएं : डा. दिलीप मिश्रा
10 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां अपग्रेड, मिलेंगी बेहतर सेवाएं : डा. दिलीप मिश्रा

आयुष की ओर रुझान बढ़ रहा है। डिस्पेंसरियों को आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तब्दील किया जा रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति हमारे लिए कितनी उपयोगी है, किन औषधियों का प्रयोग किस रोग में किया जा सकता है और कोरोना काल में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति किस तरह कारगर साबित रही है, इन तमाम बातों को लेकर दैनिक जागरण संवाददाता संजीव कांबोज ने जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डा. दिलीप मिश्रा से बातचीत की।

सवाल : जिला में कितनी आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां चल रही हैं?

जवाब : जिला में कुल 21 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां हैं। इनमें से 18 आयुर्वेदिक व तीन यूनानी डिस्पेंसरियां है। 10 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों को आयुष हेल्थ वेलनेस सेंटर में तब्दील किया जा चुका है।

सवाल : आयुष हेल्थ वेलनेस सेंटर पर किस तरह की सेवाएं मिलेंगी।

जवाब : आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर हर बीमारी का उपचार हो सकेगा। सामान्य अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हमारा प्रयास है कि मरीज को नजदीकी सेंटर पर ही बेहतर उपचार मिल सके। आशा व एएनएम को आयुर्वेद का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गांवों में खासतौर पर शुगर, बीपी, एलर्जी सहित अन्य रोगियों लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति बेहतर है। छोटी-छोटी बीमारियों के उपचार के लिए मरीजों को अधिक दूरी न तय करनी पड़े, इसलिए वेलनेस सेंटर बनाए गए हैं।

सवाल : आज के युग में आयुर्वेद का कितना महत्व है?

जवाब : देखिए, आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार विशेष रूप से प्रयासरत है। सभी डिस्पेंसरियों पर आधुनिक सुविधाएं दी जा रही हैं। कहीं भी दवाइयों की कमी नहीं है। आयुर्वेद का मकसद स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना है। ताकि बीमारी हो ही ना। खांसी-जुकाम के लिए घरेलु नुख्शों का प्रयोग किया जा सकता है। योग-प्रणायाम से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिल रहा है। आयुर्वेद के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। आने वाला समय आयुर्वेद का ही है।

जवाब : अति व्यस्तता व तनाव के कारण बीमारियां भी बढ़ रही हैं। आयुर्वेद को अपनाकर हम किस तरह स्वस्थ रह सकते हैं?

जवाब : आयुर्वेद ही ऐसा चिकित्सा शास्त्र है जिसमें शरीर के साथ-साथ मन की चिकित्सा की जाती है। रज और तम का वर्णन आयुर्वेद में ही किया गया है। सुगंधा, शतावरी, मालकांगनी, शंखपुष्पी जैसी हर्बल दवाइयों के प्रयोग व योग को अपनाकर हम कई तरह बीमारियों से बचाव कर सकते हैं। आयुर्वेदिक दवाइयों का कोई साइड इफेक्ट नहीं है जबकि कई एलोपेथिक दवाइयों का साइड इफेक्ट रहता है। विदेशों में हर्बल औषधियों का काफी मांग बढ़ रही है।

सवाल: हमारी रसोई में काफी औषधियां हैं, इनका प्रयोग कर हम किस तरह छोटे-छोटे रोगों का उपचार कर सकते हैं?

जवाब : आयुर्वेद का सिद्धांत ही आहर ही औषध है। अपच की स्थिति में हींग, तीन काली मिर्च व मिसरी दाने यदि चबाए जाएं तो एलर्जी में काफी रामबाण है। जीरा सबसे अच्छा कैल्शियम का स्त्रोत है। हल्दी एंटीबायटिक है। धनियां, अजवायन व सौंफ का काफी कारगर है।

जवाब : इन दिनों समय बदल रहा है। क्या खाएं और किसका परहेज करें।

जवाब : स्वस्थ रहने के लिए इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए कि किस ऋतु में क्या खाना है। जैसे कि अब शरद ऋतु आएगी, इसमें मूंग की दाल का सूप, आंवला, शहद, गाजर का जूस का प्रयोग करें।

सवाल : कोरोना काल में आयुष का कितना योगदान रहा है?

जवाब : कोरोना काल में सबसे अधिक आयुष ही उपयोगी रहा है। देखिए कोरोना में मुख्य समस्या रोग प्रतिरोधक क्षमता की है और इसको बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक काढ़ा काफी कारगर रहा है। क्योंकि काढ़े में वह सभी औषधियां थी जिनसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

सवाल : पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

जवाब : आयुर्वेद में बताई गई दिनचर्या व ऋतुचर्या का अनुसरण करें। सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म करें। योग-प्रणायाम करें। शुद्ध सात्विक आहार लें।

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