किसान आंदोलन के कारण मंदी की मार झेल रहे व्यापारी : बुवानीवाला

सरकार ने कृषि कानून भले ही वापस ले लिए हो लेकिन उद्योग व व्यापार जगत पर से उसका काला साया दूर होता नजर नहीं आ रहा है। सरकार की उदासीनता व संवाद हीनता की वजह से अभी तक रास्ते जाम पड़े हैं। जिसका नुकसान व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है। यह बात राष्ट्रीय जन उद्योग संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने जगाधरी के एक स्थानीय बैंकेट में लघु व मझले उद्योगपतियों एवं व्यापारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कही।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 06:00 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 06:00 PM (IST)
किसान आंदोलन के कारण मंदी की मार झेल रहे व्यापारी : बुवानीवाला
किसान आंदोलन के कारण मंदी की मार झेल रहे व्यापारी : बुवानीवाला

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

सरकार ने कृषि कानून भले ही वापस ले लिए हो, लेकिन उद्योग व व्यापार जगत पर से उसका काला साया दूर होता नजर नहीं आ रहा है। सरकार की उदासीनता व संवाद हीनता की वजह से अभी तक रास्ते जाम पड़े हैं। जिसका नुकसान व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है। यह बात राष्ट्रीय जन उद्योग संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने जगाधरी के एक स्थानीय बैंकेट में लघु व मझले उद्योगपतियों एवं व्यापारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कही।

इस मौके पर संगठन में नई जिम्मेदारियां सौंपी गई। देवेंद्र चावला को प्रदेश का वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रदीप अग्रवाल को प्रदेश सचिव तथा रविद्र कुमार को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। बुवानीवाला ने कहा कि पिछले 14 माह से किसान आंदोलन के कारण कारखाने, रिटेल आउटलेट एवं छोटे व्यापारी बंदी की मार झेलते रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच के इस मसले में सबसे ज्यादा व्यापारी वर्ग पिसता रहा है। ये कानून वापस लेकर सरकार ने किसानों को तो राहत दे दी है लेकिन व्यापारी वर्ग के लिए उसके पास कुछ नहीं है। प्रदेश का व्यापारी फिलहाल पलायन करने को मजबूर है। इससे पूर्व कोविड काल की बर्बादी ने व्यापारियों को आत्महत्या तक करने को मजबूर कर दिया था। इन सबके बावजूद न तो केंद्र और न ही हरियाणा सरकार व्यापारियों की सुध ले रही है। उन्होंने मांग की है कि आंदोलन के दौरान उद्योगों को हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए। बड़े राहत पैकेज की घोषणा की जाए। इसके अलावा प्रदूषण के नाम पर भी व्यापारियों की प्रताड़ित किया जा रहा है। बिजली के पुराने बकाया बिलों को माफ किया जाए। आर्थिक तंगी से गुजर रहे या बंद उद्योगों से भी बिजली के फिक्स चार्ज वसूले जा रहे हैं। इसे जल्द से जल्द बंद किया जाए।

राष्ट्रीय महासचिव विकास गर्ग ने कहा कि आंदोलन के कारण व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि आंदोलन अवधि का आंकलन करते हुए नुकसान की समुचित भरपाई की जाए।

प्रदेशाध्यक्ष गुलशन डंग ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मनमाने तरीके से 75 प्रतिशत आरक्षण कानून पर उद्योग जगत पर थोप दिया है। सरकार को पहले स्किल की कमी से निपटना चाहिए था। मौके पर प्रदीप अग्रवाल, सुरेश गर्ग, आशीष मित्तल, पंकज मित्तल, पुनीत गर्ग, मनीष त्यागी, रिपी, कंवर पाल सैनी, सोढी, मनोज गुप्ता उपस्थित थे।

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