रोड सेफ्टी की मीटिग करने बैठे अधिकारी यह नहीं बता सके दुर्घटना वाले 36 प्वाइंट किस विभाग के, सांसद ने खामियों पर उठाए सवाल

जिला सचिवालय में सोमवार को रोड सेफ्टी की मीटिग अधिकारियों की आधी अधूरी तैयारियों के साथ हुई। जिन विभागों को सड़क सुरक्षा पर सबसे ज्यादा काम करना है । उनके पास मीटिग में न तो पूरा रिकार्ड था और न ही सही जानकारी। मीटिग में एक घंटा सबसे ज्यादा उन 54 प्वाइंट पर चर्चा हुई जहां पर सबसे ज्यादा हादसे हो चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 06 Jul 2021 06:26 AM (IST) Updated:Tue, 06 Jul 2021 06:26 AM (IST)
रोड सेफ्टी की मीटिग करने बैठे अधिकारी यह नहीं बता सके दुर्घटना वाले 36 प्वाइंट किस विभाग के, सांसद ने खामियों पर उठाए सवाल
रोड सेफ्टी की मीटिग करने बैठे अधिकारी यह नहीं बता सके दुर्घटना वाले 36 प्वाइंट किस विभाग के, सांसद ने खामियों पर उठाए सवाल

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

जिला सचिवालय में सोमवार को रोड सेफ्टी की मीटिग अधिकारियों की आधी अधूरी तैयारियों के साथ हुई। जिन विभागों को सड़क सुरक्षा पर सबसे ज्यादा काम करना है । उनके पास मीटिग में न तो पूरा रिकार्ड था और न ही सही जानकारी। मीटिग में एक घंटा सबसे ज्यादा उन 54 प्वाइंट पर चर्चा हुई जहां पर सबसे ज्यादा हादसे हो चुके हैं। इनमें सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पीडब्ल्यूडी व नेशनल हाईवे के अधिकारी कहते रहे कि इनमें से नौ-नौ प्वाइंट उनके विभागों से हैं। बाकी के 36 प्वाइंट किस विभाग के हैं। यह मीटिग के आखिरी तक पता नहीं चला। रोड सेफ्टी की मीटिग में पहली बार आए कुरुक्षेत्र सांसद नायब सैनी भी बार-बार अधिकारियों से खामियों को लेकर सवाल करते रहे, परंतु कोई भी अधिकारी उनकी जिज्ञासाओं को शांत नहीं कर सका। आखिरकार सांसद को कहना पड़ा कि जो हालात सड़कों के तीन साल पहले थे और आज भी हम वहीं से मीटिग शुरू करेंगे तो उसका कोई फायदा नहीं। उन्हें यह रिपोर्ट चाहिए कि हादसों को कम करने के लिए उन्होंने अब तक क्या किया। आज मेरी लिस्ट लाए हो, कल कटारिया की ले आना : सैनी

टूटी सड़कों व गड्ढों की मरम्मत को लेकर सांसद गंभीर नजर आए। उन्होंने पीडब्ल्यूडी एक्सईएन राजकुमार से पूछा कि क्या आपके पास ऐसा कोई रिकार्ड है कि जिला की सड़कों पर लगभग कितने गड्ढे हैं, कहां पर ज्यादा मरम्मत की जरूरत है। मैं छह माह से देख रहा हूं कि गड्ढों को भरा तक नहीं गया। सड़कें टूटी पड़ी हैं। इस पर एक्सईएन ने कहा कि जिला की लिस्ट इस वक्त उनके पास नहीं है। वह केवल रादौर विधानसभा की लिस्ट ही लेकर आए थे। इस पर सांसद ने कहा रादौर की लिस्ट तो आप इसलिए लेकर आए हो क्योंकि यह उनके संसदीय क्षेत्र में आती है। कल मंत्री रतन लाल कटारिया जी आएंगे तो उनके एरिया की लिस्ट लेकर आ जाना। परंतु हम यहां किसी एक क्षेत्र की बात करने को नहीं बैठे हैं। यमुनानगर में एंट्री करते ही शर्म आने लगती है : गिरीश अरोड़ा

डीसी गिरीश अरोड़ा ने कहा कि किसी भी दिशा से यमुनानगर में एंट्री कर लें। यमुनानगर में आती हमें शर्म आने लगती है। क्योंकि सारी सड़कें टूटी पड़ी हैं। कोई चौक आपका ऐसा नहीं है है जो पूरी तरह से ठीक हो। पीडब्ल्यूडी के जेई, एसडीओ तो काम ही नहीं करते। बाकी जिलों की सड़कें भी तो चकाचक हैं। यमुनानगर में जब अधिकारियों से पूछते हैं तो एक ही बहाना सुनने को मिलता है कि उनके पास फंड नहीं है। क्या दूसरे जिलों को ही फंड मिल रहा है, यमुनानगर को नहीं। दामला में तीन साल पहले टोल प्लाजा हटाया गया था। वहां जो टूटी सड़क थी उसे भी मैंने ही आकर ठीक कराया है। आरटीए ने अपने ही गलत रिपोर्ट दी :

आरटीए डा. सुभाष चंद्र ने अपने ही कार्यालय की सांसद के समक्ष गलत रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। मीटिग में मामला उठा की कितने प्रदूषण जांच केंद्रों की जांच की गई। आरटीए की रिपोर्ट में इसे निल दिखाया गया था। इस पर आरटीए ने गलती सुधारते हुए कहा कि यह गलती से लिखा गया है। उनकी तरफ से हर सप्ताह चार प्रदूषण केंद्रों की जांच की जा रही है। जिला में 78 प्रदूषण जांच केंद्र है। ओवरलोड वाहनों के रोजाना छह लाख रुपये के औसतन चालान किए जा रहे हैं।

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