अधिकारी अंधेरे में तीर चलाते रह गए, बाइपास पर 179 हादसों में चली गई 101 लोगों की जान

सहारनपुर-पंचकूला बाइपास पर हुए सड़क हादसों में लोगों की जान जाती रही। अधिकारी हादसों को कम करने के लिए केवल अंधेरे में तीर चलाते रहे। प्रशासन ने हाईवे के प्रोजेक्ट डायरेक्टर (पीडी) को कई बार पत्र लिखे। अब पांच साल बाद पता चला कि यह पत्र प्रोजेक्ट डायरेक्टर को नहीं बल्कि उनके चेयरमैन को लिखने थे। यह जानकारी भी खुद पीडी ने चार दिन पहले हुई रोड सेफ्टी की मीटिग में डीसी एसपी व आरटीए को दी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Jul 2021 07:05 AM (IST) Updated:Fri, 09 Jul 2021 07:05 AM (IST)
अधिकारी अंधेरे में तीर चलाते रह गए, बाइपास पर 179 हादसों में चली गई 101 लोगों की जान
अधिकारी अंधेरे में तीर चलाते रह गए, बाइपास पर 179 हादसों में चली गई 101 लोगों की जान

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सहारनपुर-पंचकूला बाइपास पर हुए सड़क हादसों में लोगों की जान जाती रही। अधिकारी हादसों को कम करने के लिए केवल अंधेरे में तीर चलाते रहे। प्रशासन ने हाईवे के प्रोजेक्ट डायरेक्टर (पीडी) को कई बार पत्र लिखे। अब पांच साल बाद पता चला कि यह पत्र प्रोजेक्ट डायरेक्टर को नहीं बल्कि उनके चेयरमैन को लिखने थे। यह जानकारी भी खुद पीडी ने चार दिन पहले हुई रोड सेफ्टी की मीटिग में डीसी, एसपी व आरटीए को दी। जब तक चेयरमैन बाइपास पर हो रहे हादसों का मामला मंत्रालय के संज्ञान में नहीं लाएंगे तब तक हादसों को कम करने के कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। हद तो पीडी ने भी कर दी जिन्होंने 28 अक्टूबर 2015 के आदेशों के बारे में प्रशासन को बताने की कभी जहमत नहीं उठाई। वह प्रशासन के पत्रों को केवल फाइल में लगाते रहे। अधिकारियों की इस लापरवाही का खामियाजा सैकड़ों लोगों को अपनी जान देकर गंवाना पड़ा। बाइपास पर 179 हादसों में 101 लोगों की गई जान :

एक जनवरी 2018 से लेकर अब तक बाइपास पर 179 सड़क हादसे हो चुके हैं। जिनमें 101 लोगों की मौत हुई जबकि 155 से ज्यादा घायल हुए। एसपी के आदेशों पर बाइपास पर तीन साल में हुए हादसों का आडिट हुआ तो यह चौकाने वाले आंकड़े सामने आए। रोड सेफ्टी की मीटिग में भी लगातार हादसों पर चिता जताई जा चुकी है। 54 ब्लैक स्पोट व 19 दुर्घटना संभावित प्वाइंट :

जिला में 54 ब्लैक स्पोट व 19 दुर्घटना संभावित प्वाइंट हैं। ब्लैक स्पोट वह होता है जहां तीन साल में पांच एक्सीडेंट हुए हो या 10 लोगों की मौत हुई हो। जबकि दुर्घटना संभावित क्षेत्र वह होता है जहां तीन महीने में तीन या इससे ज्यादा हादसे हुए हो। सहारनपुर से पंचकूला तक बना बाइपास पर केवल दो जगहों पर ही 59 हादसों में 29 लोगों की मौत व 43 घायल हुए। बस स्टैंड छप्पर पर 26 हादसों में 13 मौत व 18 घायल हुए। इसी तरह करेहड़ा खुर्द में 23 हादसों में 16 मौत व 25 घायल हुए। जबकि बाइपास पर ही 09 अन्य जगहों पर हुए 70 हादसों में 42 मौत व 64 घायल हुए। अंडरपास व फ्लाइओवर की मांग :

बाइपास करेहड़ा खुर्द व रादौर रोड को छोड़ दें तो कहीं पर भी अंडरपास या फ्लाइओवर नहीं है। इस कारण लोग बाइपास को जान जोखिम में डाल कर पार करते हैं। तेज रफ्तार वाहनों से टकरा कर हादसे हो रहे हैं। अंडरपास के लिए तो ग्रामीण धरना तक दे चुके हैं। प्रशासन भी इसे लेकर पीडी को लगातार पत्र लिख रहा है। अब पीडी प्रदीप अत्री पहली बार रोड सेफ्टी की मीटिग में आए तो उन्होंने बताया कि पत्र उन्हें नहीं बल्कि चेयरमैन को लिखने थे। उन्होंने तो अधिकारियों को यहां तक कह दिया कि जो छोटी-मोटी खामियां थी वह भी उन्होंने खुद संज्ञान लेकर अपने स्तर पर ही ठीक कराई है। जिससे साफ है कि प्रशासन के लिखे पत्रों को कोई भाव नहीं दिया गया। यह गंभीर मुद्दा है : सुशील आर्य

सड़क सुरक्षा समिति के सदस्य एडवोकेट सुशील आर्य का कहना है कि यह गंभीर मुद्दा है। बाइपास पर लोगों की जान जा रही है और इतने सालों में किसी ने यह नहीं बताया कि प्रशासन को पत्र किसे लिखने हैं। पता होता तो अब तक बाइपास पर अंडरपास कभी के बन गए होते। वह इस मामले को स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल हरियाणा की मीटिग में भी उठाएंगे। चेयरमैन को पत्र लिखा जाएगा : गिरीश अरोड़ा

डीसी गिरीश अरोड़ा का कहना है कि एसपी या आरटीए की तरफ से चेयरमैन को पत्र लिखा जाएगा। जिसमें उन्हें बताएंगे कि बाइपास पर कितनी खामियां हैं जिन्हें ठीक करना है। अब तक काफी लोगों की जान बाइपास पर जा चुकी है।

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