शिक्षामंत्री भी उठा चुके जगाधरी में सीइटीपी बनाने की मांग, जमीन उपलब्ध करवाएगा निगम

सीएम मनोहर लाल को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद अभी बर्तन नगरी को शिफ्ट किए जाने का निर्णय टल गया है। व्यवसायियों के लिए यह बड़ी राहत है। औद्योगिक इकाइयों को शिफ्ट किए जाने की बजाय केमिकल युक्त डिस्चार्ज को ट्रीट करने के लिए सीइटीपी (कामन इन्फ्लुएंस ट्रीटमेंट प्लांट ) लगाए जाने पर सहमति बनी है। डीसी पार्थ गुप्ता के मुताबिक इसके लिए नगर निगम जमीन उपलब्ध करवाएगा और जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पर प्लांट लगाने की जिम्मेदारी होगी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 05:37 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 05:37 PM (IST)
शिक्षामंत्री भी उठा चुके जगाधरी में सीइटीपी बनाने की मांग, जमीन उपलब्ध करवाएगा निगम
शिक्षामंत्री भी उठा चुके जगाधरी में सीइटीपी बनाने की मांग, जमीन उपलब्ध करवाएगा निगम

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

सीएम मनोहर लाल को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद अभी बर्तन नगरी को शिफ्ट किए जाने का निर्णय टल गया है। व्यवसायियों के लिए यह बड़ी राहत है। औद्योगिक इकाइयों को शिफ्ट किए जाने की बजाय केमिकल युक्त डिस्चार्ज को ट्रीट करने के लिए सीइटीपी (कामन इन्फ्लुएंस ट्रीटमेंट प्लांट ) लगाए जाने पर सहमति बनी है। डीसी पार्थ गुप्ता के मुताबिक इसके लिए नगर निगम जमीन उपलब्ध करवाएगा और जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग पर प्लांट लगाने की जिम्मेदारी होगी। जमीन तलाशने का काम शुरू कर दिया गया है। उम्मीद है जल्दी ही इस परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा। बता दें कि शिक्षामंत्री कंवरपाल भी जगाधरी में सीइटीपी लगाए जाने की मांग उठा चुके हैं, लेकिन जमीन उपलब्ध न होने के कारण अब तह यह परियोजना सिरे नहीं चढ़ पाई थी।

घर-घर में चल रही औद्योगिक इकाइयां :

यमुनानगर-जगाधरी औद्योगिक नगरी के नाम से विख्यात है। यहां प्लाइवुड उद्योग के साथ-साथ बर्तन उद्योग भी बड़े स्तर पर है। सैकड़ों छोटी बड़ी इकाइयां रिहायशी क्षेत्रों में चल रही हैं। करीब दो लाख लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। दरअसल, औद्योगिक इकाइयों को मानकपुर के औद्योगिक क्षेत्र में शिफ्ट किए जाने के निर्णय पर व्यवसायियों ने एतराज जताया था। इस संबंध में कई व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधि डीसी पार्थ गुप्ता से भी मिले थे। बाद में इस संबंध में सीएम मनोहर लाल से प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में मुख्य रूप से तीन बिदुओं पर बातचीत हुई। पहला यह कि औद्योगिक इकाइयों को शिफ्ट किया जाए। दूसरा, औद्योगिक इकाइयों से निकल रहे केमिकल युक्त पानी को एसटीपी तक वाहनों के जरिए पहुंचाया जाए और तीसरा सीइटीपी स्थापित किया जाए। इन तीनों में सीएम ने सीइटीपी लगाने की योजना को बेहतर समझा। प्रशासनिक अधिकारियों को इस योजना पर काम करने के लिए कहा गया। फिलहाल यह स्थिति :

सीवरेज के माध्यम से केमिकल युक्त पानी जन स्वास्थ्य विभाग के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंच रहा है। इसमें केमिकल के साथ-साथ विभिन्न धातुओं के बारीक कण प्लांट की मशीनरी के लिए भी घातक साबित हो रहे हैं। जानकारों के मुताबिक सीवरेज के सामान्य पानी में केमिकल आक्सीजन डिमांड (सीओडी)400-500 एमजी प्रति लीटर होती है, लेकिन केमिकल व विभिन्न धातुओं के कण मिलने से यह कई गुणा अधिक बढ़ जाती है। जिसके चलते पानी को ट्रीट करना मुश्किल हो जाता है। दूसरा, प्लांट की मशीनरी सीवरेज के पानी को ट्रीट करने के आधार पर ही डिजाइन की गई है न कि केमिकल युक्त पानी को ट्रीट करने लिए। औद्योगिक इकाइयों का दूषित पानी नालों के जरिए पश्चिमी यमुना नहर तक पहुंच रहा है। योजना पर काम शुरू कर दिया है :

मेटल इंडस्ट्री के लिए सीइटीपी लगाए जाने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। यह प्लांट लगाए जाने की जिम्मेदारी जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग की है, जबकि निगम की ओर से जमीन उपलब्ध करवाई जाएगी। हमारा प्रयास है कि औद्योगिक इकाइयों से निकल रहे केमिकल युक्त पानी को ट्रीट करके ही छोड़ा जाए। उम्मीद है जल्दी ही यह योजना सिरे चढ़ जाएगी।

पार्थ गुप्ता, डीसी, यमुनानगर।

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