वायु प्रदूषण फैला रहे क्रशर, कार्रवाई के नाम पर मौन अधिकारी

गन्ने की छिलाई शुरू होते ही गन्ना क्रशर व कोल्हू की चिमनियों ने धुआं उगलना शुरू कर दिया है। इनके धुएं से हो रहा वायु प्रदूषण न केवल आसपास की आबादी को बल्कि क्रशरों में काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 05:37 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 05:37 AM (IST)
वायु प्रदूषण फैला रहे क्रशर, कार्रवाई के नाम पर मौन अधिकारी
वायु प्रदूषण फैला रहे क्रशर, कार्रवाई के नाम पर मौन अधिकारी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गन्ने की छिलाई शुरू होते ही गन्ना क्रशर व कोल्हू की चिमनियों ने धुआं उगलना शुरू कर दिया है। इनके धुएं से हो रहा वायु प्रदूषण न केवल आसपास की आबादी को बल्कि क्रशरों में काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रहा है। परंतु धुंआ फैला रहे गन्ना क्रशरों पर किसी का नियंत्रण नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी हर साल आंख बंद कर सब चुपचाप देखते रहते हैं। यही वजह है कि बोर्ड के रिकार्ड में आज तक किसी क्रशर या कोल्हू पर की गई कार्रवाई दर्ज नहीं है। बोर्ड अधिकारियों ने इन्हें प्रदूषण फैलाने की खुली छूट दे रखी है। बोर्ड के दोहरे नियम क्यों

चिमनियों से निकलने वाला धुआं लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचाए इसके लिए ईंट भट्ठों में जिग-जैग तकनीक अपनाई गई। जो भट्ठे इस तकनीक को नहीं अपना पाए उन्हें चलाने की अनुमति नहीं दी गई। प्रदूषण को देखते हुए ही खेतों में फसल के अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया। परंतु गन्ना क्रशर व कोल्हू पर जब कार्रवाई की बात आती है तो सारे नियम धराशायी हो जाते हैं। प्रदूषित वायु से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अफसर जानकर भी अंजान बने हुए हैं। 15 फीट से भी नीची है चिमनी

जिले में करीब 220 गन्ना क्रशर व कोल्हू चल रहे हैं। जिस चिमनी से धुआं निकलता है उसकी ऊंचाई 15 फीट से भी नीची है। कुछ चिमनियों की ऊंचाई तो 10 फीट भी नहीं है। 150 से ज्यादा क्रशर केवल बिलासपुर ब्लाक में चल रहे हैं। इनमें से काफी तो आबादी के बीच में हैं जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने क्रशर में चिमनी की ऊंचाई 10 मीटर निर्धारित कर रखी है। आबादी से इनकी दूरी 500 मीटर होनी चाहिए। हानिकारक गैस पहुंचाती हैं नुकसान

क्रशरों व कोल्हू पर ईंधन के लिए गन्ने की खोई या सूखी पत्तियां जलाई जाती हैं। लेकिन ईंधन की खपत अधिक होने के कारण कोल्हू में पुराने टायर भी डाल दिए जाते हैं। इससे अधिक वायु प्रदूषण फैलता है। इसके अलावा धुएं से कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड व ठोस कार्बन कणों का उत्सर्जन होता है। क्रशरों पर कार्रवाई की जाएगी : निर्मल कश्यप

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी निर्मल कश्यप का कहना है कि गन्ना क्रशरों द्वारा फैलाए जा रहे वायु प्रदूषण की कई शिकायतें आई हैं। जल्द ही इन पर कार्रवाई की जाएगी।

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