समाजसेवी इंदू कपूर ने घर से खाना तैयार कर जरूरतमंदों तक भिजवाया

कोरोना काल में बेरोजगार हुए लोगों को नेत्र रोग सहायक व समाजसेवी इंदू ने सहारा दिया। हर दिन घर पर 50 लोगों के लिए भोजन तैयार करती थी। एक्टिवा पर उनके बीच जाकर खुद खाना वितरित करती थी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 06:26 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 06:26 AM (IST)
समाजसेवी इंदू कपूर ने घर से खाना तैयार कर जरूरतमंदों तक भिजवाया
समाजसेवी इंदू कपूर ने घर से खाना तैयार कर जरूरतमंदों तक भिजवाया

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

कोरोना काल में बेरोजगार हुए लोगों को नेत्र रोग सहायक व समाजसेवी इंदू ने सहारा दिया। हर दिन घर पर 50 लोगों के लिए भोजन तैयार करती थी। एक्टिवा पर उनके बीच जाकर खुद खाना वितरित करती थी। इसके अलावा अस्पताल में उपचाराधीन लोगों तक भी इंदू कपूर ने फल व नींबू पानी भिजवाएं। इस दौरान वह खुद भी कोरोना की चपेट में आ गई थी। कोरोना से उबरने के बाद उन्होंने फिर से जरूरतमंदों की सेवा शुरू कर दी थी।

लॉकडाउन के दौरान औद्योगिक इकाइयां बंद हो गई थी। भारी संख्या में कामगार बेरोजगार हो गए। इनको खाने तक के लाले पड़ गए थे। दूसरा, स्लम बस्तियों में भी खाने मदद की जरूरत महसूस होने लगी थी। शुगर मिल कालोनी निवासी इंदू कपूर सामाजिक संस्थाओं से पहले से ही जुड़ी हुई है। लॉकडाउन में उन्होंने ऐसे जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुंचाने की शुरुआत की थी।घर पर ही खाना तैयार करना शुरू दिया था। बर्तन में पैकिग कर एक्टिवा पर रखकर जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुंचाया था।

गर्भवती महिला को सुरक्षित घर पहुंचाया था :

इंदू कपूर बताती हैं कि एक दिन वह भोजन वितरित कर घर लौट रही थी। इसी दौरान विश्वकर्मा चौक पर कई महिलाएं बैठी हुई थी। इनमें एक महिला गर्भवती थी। वह मूल रूप से बिहार के समस्तीपुर की रहने वाली थी। इंदू ने खुद वाहन किराये पर मंगवाया था। इस महिला को कलानौर नाके तक पहुंचाया गया। यहां अधिकारियों से संपर्क कर उसको समस्तीपुर पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी। लॉकडाउन के दौरान काफी महिलाएं शिविरों में रूकी हुई थी। यहां पर भी महिलाओं को सेनेटरी पैड बांटे और उनको कोरोना से बचाव व स्वच्छता के बारे में जागरूक किया। कुछ महिलाओं को कपड़े भी मुहैया कराए गए थे, क्योंकि पंजाब व दूसरे जिलों से आने वाली कामगार महिलाओं के पास कपड़े तक नहीं रहे थे। उनका कहना है कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। कोरोना काल में बेरोजगार हो चुके लोगों को मदद की जरूरत थी। उस संकट की घड़ी में ये लोग लाचार थे। खाना पहुंचाने के साथ उन्होंने फल व दवाइयां भी मरीजों तक पहुंचाई थी। यह सेवा कर मन को बड़ा संतोष मिलता था।

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