गबन उजागर होने के बाद टेंशन में दुकानदार, खंगाल रहे अपने किराये का रिकॉर्ड

रोडवेज जीएम कार्यालय में 62 लाख रुपये के गबन का मामला उजागर होने के बाद दुकानदारों को चिंता सता रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 08:06 AM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 08:06 AM (IST)
गबन उजागर होने के बाद टेंशन में दुकानदार, खंगाल रहे अपने किराये का रिकॉर्ड
गबन उजागर होने के बाद टेंशन में दुकानदार, खंगाल रहे अपने किराये का रिकॉर्ड

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

रोडवेज जीएम कार्यालय में 62 लाख रुपये के गबन का मामला उजागर होने के बाद दुकानदार तनाव टेंशन में हैं। उनको चिता इस बात की सता रही है कि बिल्डिग क्लर्क दविद्रपाल सिंह ने उनसे किराया लेकर कार्यालय में जमा कराया है या नहीं। इसलिए दुकानदार किराये के बारे में पता करने के लिए रोडवेज कार्यालय में अधिकारियों के आगे पीछे चक्कर काट रहे हैं। साथ ही नीलामी में दुकानें लेने वाले लोग घर पर भी पुरानी रसीदों को तलाश रहे हैं। सूत्रों की माने तो कई दुकानदारों द्वारा जमा कराए गए किराये व जीएसटी का रोडवेज कार्यालय में रिकॉर्ड नहीं मिला है।

यमुनानगर बस स्टैंड के अलावा जगाधरी, साढौरा, बिलासपुर, छछरौली और रादौर बस स्टैंड परिसर में बनी दुकानों की हर साल रोडवेज द्वारा नीलामी कर किराये पर दिया जाता है। इसके अलावा जगाधरी व यमुनानगर बस स्टैंड पर बड़े स्तर पर पार्किंग भी है। दुकानों की बजाय रोडवेज को पार्किंग से आमदनी ज्यादा होती है। दुकानदारों से किराया बिल्डिग क्लर्क द्वारा लिया गया। परंतु किराये को कार्यालय में जमा नहीं कराया गया। यह गबन पकड़ में भी नहीं आता यदि ऑडिट टीम रिकॉर्ड की गंभीरता से जांच न करती। ऑडिट में 62 लाख छह हजार रुपये का गबन सामने आया। इसके बाद दविद्रपाल सिंह पर थाना शहर यमुनानगर में केस दर्ज कराया गया है। दुकानदारों का भी नहीं मिल रहा रिकॉर्ड

गबन का पता लगने के बाद नीलामी में दुकानें किराये पर लेने वाले लोगों ने जीएम कार्यालय के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं। सभी यही पता कर रहे हैं कि उनका कितना किराया कार्यालय में जमा हुआ है और कितना नहीं। परंतु ज्यादातर दुकानों का रिकॉर्ड ही नहीं मिल रहा। इसलिए दुकानदारों को अपने किराये की जानकारी नहीं मिल रही है। इसलिए दुकानदारों को अपनी रसीदें लाने को कहा गया है। परंतु दुकानदारों की दिक्कत यह है कि वह पांच-छह साल पुरानी रसीदें कहां से लेकर आएं। फिलहाल दुकानदारों को अपना बकाया किराया जमा कराने को कहा जा रहा है। जो रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है उसे बाद में एडजस्ट किया जाएगा। पांच साल तक अनदेखी करते रहे अफसर

ऑल हरियाणा रोडवेज वर्कर यूनियन के राज्य नेता हरिनारायण शर्मा का कहना है कि 62 लाख रुपये का घोटाला वर्ष 2015-20 वर्ष में हुआ है। इतने वर्षो में कई जीएम आए और बदल कर चले गए। किसी ने एक बार भी क्यों यह जानने की कोशिश नहीं की कि कितनी दुकानों का किराया कार्यालय में जमा हो रहा है और किसका नहीं। अधिकारियों की इस चुप्पी की जांच होनी चाहिए। क्योंकि बिना अधिकारियों की मिलीभगत के यह संभव नहीं है। खुद को बचाने के लिए अफसरों ने क्लर्क पर केस दर्ज करवा दिया। इसलिए उन अफसरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जो गत पांच वर्षों के दौरान जिला में जीएम रहे हैं। दुकानदारों का रिकार्ड देख रहे हैं : लेखराज

रोडवेज जीएम लेखराज का कहना है कि बिल्डिंग क्लर्क पर केस दर्ज होने के बाद दुकानदार अपने किराये का पता करने आ रहे हैं। दुकानों का रिकॉर्ड जांचा जा रहा है। दुकानदारों से कहा गया है कि जिनका किराया बकाया है, वह तुरंत जमा कराएं।

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