बंद हुए शेल्टर होम, अब भी घर वापसी के लिए भटक रहे कामगार

अब शेल्टर होम भी लगभग बंद हो चुके हैं। इनमें कामगारों को एंट्री नहीं दी जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 04:16 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 04:16 AM (IST)
बंद हुए शेल्टर होम, अब भी घर वापसी के लिए भटक रहे कामगार
बंद हुए शेल्टर होम, अब भी घर वापसी के लिए भटक रहे कामगार

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

जिले से करीब 35 हजार कामगारों को उनके गृह राज्य भिजवाया जा चुका है। अब शेल्टर होम भी लगभग बंद हो चुके हैं। इनमें कामगारों को एंट्री नहीं दी जा रही है। स्थानीय प्लाईवुड फैक्ट्रियों में कार्य करने वाले कामगार अभी भी घर वापसी के लिए भटक रहे हैं। कभी रेलवे स्टेशन, तो कभी शेल्टर होम के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें घर वापसी का कोई रास्ता नहीं मिल रहा है।

एक जून से ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो रहा है। हालांकि यमुनानगर रेलवे स्टेशन पर चार ही ट्रेनों का ठहराव होगा। ये ट्रेनें भी बिहार नहीं जाएंगी। सबसे अधिक चिता बिहार के कामगारों को हो रही है, क्योंकि न तो ट्रेनें चल रही हैं और न ही पोर्टल पर आवेदन के बाद कोई मैसेज मिल रहा है। तेजली स्टेडियम में कामगारों को ठहराने के लिए शेल्टर होम बनाया गया था। जहां से हर रोज कामगारों को रवाना किया गया। अब यहां पर भी एंट्री नहीं दी जा रही है। तेजली स्टेडियम में हर रोज 50-60 कामगार पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें यहां से वापस भेजा जा रहा है।

न टिकट आया और न ही पैसे वापस हुए : बिहार के पूर्णिया जिले के जानकीनगर निवासी कुंदनराम ने बताया कि उसने घर वापसी के लिए ट्रेन का आनलाइन बुकिग की, लेकिन न तो मोबाइल पर कोई मैसेज आया और न ही पैसे वापस मिले। अब वह स्टेशन पर आए हैं, ताकि यहां से कोई व्यवस्था हो जाए। स्टेडियम से वापस कर दिया :

बिहार के अररिया निवासी मोहम्मद सज्जाद ने बताया कि वह शादीपुर में प्लाईवुड फैक्ट्री में नौकरी करता है। अब उसे घर वापस जाना है। उम्मीद थी कि ट्रेन चल जाएंगी, लेकिन ट्रेनों में शेल्टर होम में रूके कामगारों को ही भिजवाया जा रहा है। इसलिए वह तेजली स्टेडियम में गए थे, लेकिन वहां से उन्हें वापस भेज दिया गया। अब रेलवे स्टेशन पर आए हैं, लेकिन यहां से पता लगा कि बिहार के लिए कोई ट्रेन नहीं है।

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