धान का विकल्प अपनाने पर मिलेंगे सात हजार प्रति एकड़, दो लाख एकड़ का लक्ष्य
गिरते भू-जलस्तर की स्थिति में सुधार के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने कदम उठाया है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गिरते भू-जलस्तर की स्थिति में सुधार के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से मेरा पानी मेरी विरासत योजना को धरातल दिया है। इसके तहत धान की फसल की जगह मक्का, काटन, दालें, तेल वाली फसलें, मूंगफली, चारा व प्याज की फसल की बिजाई करने पर किसान को प्रति एकड़ सात हजार रुपये की दर से प्रोत्साहन राशि मिलेगी। खेत खाली रखने की स्थिति में सात हजार प्रति एकड़ मिलेंगे। प्रदेश में वैकल्पिक फसलों की बिजाई का लक्ष्य दो लाख एकड़ रखा गया है। इसको पूरा करने के लिए अधिकारी जुटे हुए हैं। किसानों को वैकल्पिक फसलों की बिजाई के प्रति जागरूक किया जा रहा है। जिला : वैकल्पिक फसल
अंबाला : 7150 एकड़
भिवानी : 10535
चरखी दादरी : 7680
फरीदाबाद : 2955
फतेहाबाद : 24255
गुड़गांव : 1410
हिसार : 16825
झज्जर : 9690
जींद : 24910
कैथल : 13115
करनाल : 8200
कुरुक्षेत्र : 6350
महेंद्रगढ़ : 1000
मेवात : 1566
पलवल : 2200
पंचकूला : 2660
पानीपत : 5140
रेवाड़ी : 2370
रोहतक : 6440
सिरसा : 29010
सोनीपत : 10260
यमुनानगर : 6280 एकड़
यह होगा फायदा
डा. जसविद्र सैनी ने बताया कि धान उगाने से जल का भू-जलस्तर घटता जा रहा है जिससे आने वाले समय में पानी रूपी विरासत संकट में होगी। उन्होंने बताया कि धान फसल में 18 से 20 सिचाई की जाती है जबकि मक्का में 4 से 5 सिचाई की जाती है। धान के स्थान पर मक्का, खरीफ दालें (जैसे की अरहर, मूंग, उड़द इत्यादि) व खरीफ तिलहन (मुंगफली एवं तिल) लगाने पर लगभग 80 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। सरकार ने पानी रूपी विरासत को बचाने के मेरा पानी मेरी विरासत योजना शुरु की है जिसके तहत जो किसान धान के स्थान पर उपरोक्त फसलें उगाता है तो उसको सात हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। धान के स्थान पर वैकल्पिक फसल मक्का, कपास, दलहन, सब्जियां व फल द्वारा विविधिकरण करने पर मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।