रामलीला में किया रावण वध का मंचन

राम कृष्ण रामलीला क्लब की ओर से जठलाना में आयोजित करवाई जा रही रामलीला में रावण वध के दृश्य का मंचन किया गया। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य व कांग्रेसी नेता विक्रम सैनी ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की और रीबन काटकर रामलीला का शुभारंभ किया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 04:53 PM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 04:53 PM (IST)
रामलीला में किया रावण वध का मंचन
रामलीला में किया रावण वध का मंचन

संवाद सहयोगी, रादौर : राम कृष्ण रामलीला क्लब की ओर से जठलाना में आयोजित करवाई जा रही रामलीला में रावण वध के दृश्य का मंचन किया गया। इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य व कांग्रेसी नेता विक्रम सैनी ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की और रीबन काटकर रामलीला का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में पहुंचने पर क्लब की ओर से विक्रम सैनी को शाल भेंटकर सम्मानित किया गया। सैनी ने क्लब से जुड़े 95 सदस्यों व कलाकारों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

रावण वध के मंचन में दिखाया गया कि मेघनाद की मृत्यु के बाद रावण खुद को असहाय महसूस करता है और सोचता है कि अब कौन है जो इस समय मेरी सहायता कर सकता है। तब उसे अपने बेटे पाताल के राजा अहिरावण का ध्यान आता है। रावण अपनी माया शक्ति से अहिरावण को बुलाता है और उसे युद्ध में जाने के लिए कहता है। अहिरावण अपने पिता को कहता है कि आपने एक पराई स्त्री के लिए कुंभकर्ण व मेघनाद जैसे महायोद्धा कुर्बान कर दिए और अब मेरे पास आए हो, लेकिन वह बेटा किस काम का जो मुसीबत के समय काम न आए। इसलिए मैं युद्ध में जरूर जाऊंगा और श्रीराम के हाथों मारे जाने से अच्छी बात मेरे लिए और क्या होगी। अहिरावण युद्ध में जाता है और मायावी शक्ति से श्रीराम व लक्ष्मण का अपरहण कर पाताल में ले आता है। हनुमान अहिरावण का वध करके राम लक्ष्मण को छुड़ाकर ले आता है। फिर रावण अपने बेटे नारांतक को युद्ध में भेजता है। सुग्रीव का बेटा दधिबल उसे मार देता है। रावण अपने आप युद्ध की कमान संभालते है और श्रीराम व रावण में भयंकर युद्ध होता है। जब बहुत देर तक रावण हार नहीं मानता तो श्रीराम विभीषण से कहते है कि क्या कारण है कि रावण मर नहीं रहा। तब विभीषण राम को बताते है कि आप इसकी नाभि में 32 तीर इकट्ठे मारिए, तब इसकी मौत होगी। श्रीराम ऐसा ही करते है और रावण के वध के साथ ही पंडाल जय श्रीराम के नारे गूंज उठा। मुख्यातिथि विक्रम सैनी ने अपने संबोधन में कहा कि रामलीला केवल एक मंचन नहीं बल्कि यह जीवन की सच्चाई है। इसमें मनुष्य जीवन का हर पहलु जुड़ा हुआ है। अगर मनुष्य रामायण से प्रेरणा लेकर जीवन यापन करे तो उसकी हर मुश्किल आसान होगी। हमें रामायण के आदर्शो को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

इस अवसर पर प्रधान कुलदीप सिंह, उपप्रधान सतीश कांबोज, निदेशक पंकज धीमान, शाम बिहारी, सचिव संजीव शास्त्री, संजीव राणा, साहब सिंह, प्रदीप शर्मा, मुकेश राणा, सतेंद्र राणा व ईशू नंबरदार इत्यादि उपस्थित थे।

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