डिच ड्रेन में गिर रहे नालों को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सख्त, निगम पर एक करोड़ के जुर्माने की तैयारी

लंबे समय बाद डिच ड्रेन में गिर रहे नालों को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जुर्माना लगाने की तैयारी कर ली है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 07:24 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 07:24 AM (IST)
डिच ड्रेन में गिर रहे नालों को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सख्त, निगम पर एक करोड़ के जुर्माने की तैयारी
डिच ड्रेन में गिर रहे नालों को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सख्त, निगम पर एक करोड़ के जुर्माने की तैयारी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : लंबे समय बाद डिच ड्रेन में गिर रहे नालों को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सख्त हुआ है। अब कार्रवाई की तैयारी है। नगर निगम पर एक करोड़ रुपये का जुर्माने लगाने के लिए बोर्ड के उच्चाधिकारियों से अनुमति मांगी गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक शहर के विश्वकर्मा चौक वाला नाला, हमीदा व पुराना गुरुद्वारा के पास से गुजर रहा नाला सीधे डिच ड्रेन में गिर रहे हैं। यह नाले नगर निगम के हैं और नालों में औद्योगिक इकाइयों के केमिकल युक्त पानी बहता है, जोकि डिच ड्रेन में बह रहे पानी के साथ मिलकर जल प्रदूषण का बड़ा कारण बन रहा है।

नहर के किनारे दो बड़े एसटीपी

नदियों के पानी को प्रदूषणमुक्त रखने के लिए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं, लेकिन जितना पानी सीवर लाइनों के माध्यम से प्लांट में ट्रीट होकर नहर में जा रहा है, उससे कही ज्यादा पानी नालों के रास्ते बिना ट्रीट हुए इन नालों से नहर में गिर रहा है। यमुनानगर की बात की जाए दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगे हुए हैं। बड़ा प्लांट कैंप में है, जिसकी क्षमता 25 एमएलडी की है। दूसरा तीर्थनगर में है। इस प्लांट की क्षमता कुल 20 एमएलडी की है। बावजूद इसके नालों का पानी बिना ट्रीट हुए डिच ड्रेन व पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहा है। हालांकि कुछ नालों को निगम ने डाइवर्ट कर दिया है, लेकिन कई अभी भी धरती की कोख को जहरीला करने का काम कर रहे हैं। फैक्ट्री मालिकों पर नहीं कार्रवाई

शहर की औद्योगिक इकाइयां प्रदूषण का बड़ा कारण बन रही हैं। प्रदूषण विभाग की ओर से सभी फैक्ट्रियों को कड़े निर्देश दिए गए हैं कि वह अपनी इकाइयों से निकलने वाले पानी को ट्रीट करने के बाद ही छोड़े। इसके लिए सभी इकाइयों में एफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को कहा गया है। आज तक अधिकारी प्लांट लगाने की योजना नहीं बना पाए। जबकि जगाधरी के घर-घर में बर्तन बनाने की इकाइयां लगी हुई हैं। बड़ी इकाइयों की संख्या भी कम नहीं है। केमिकल युक्त पानी को सीधे नालियों या सीवरेज में छोड़ा जा रहा है, जो नालों से होता हुआ ड्रेन में गिर रहा है। संकट में जलीय जीव

इंडस्ट्री से निकलने वाला केमिकल युक्त पानी कैंसर, किडनी फेल होना, फेफड़े सहित अन्य बीमारियों का कारण बनता है। जगाधरी में मेटल की सैकड़ों छोटी-बड़ी इकाईयां हैं। अधिकांश में इटीपी की व्यवस्था नहीं है। यहां से बिना ट्रीट हुए पानी नालों में गिर रहा है। इससे जलीय जीवों का जीवन संकट में है। विश्वकर्मा चौक वाला नाला, हमीदा व पुराना गुरुद्वारा के पास से गुजर रहा नाला सीधे डिच ड्रेन में गिर रहे हैं। यह नियमों का उल्लंघन है। उच्चाधिकारियों से निगम पर एक करोड़ रुपये जुर्माना लगाने की अनुमति मांगी है।

निर्मल कश्यप, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

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